राजकीय हस्तक्षेप की विधियाँ --

राजकीय हस्तक्षेप की विधियाँ -- 

       भारत एक विकासशील राष्ट्र है। यहाँ की अर्थव्यवस्था मिश्रित प्रकार की है। इसलिए यहाँ सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र एक साथ अधिक विकास में भूमिका निभाते है। ऐसी स्थिति में सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के आर्थिक प्रयासों को राज्य के समग्र विकास की तरफ निर्देशित करने के लिए सरकार या राज्य कई तरीके या विधियाँ अपनाता है। 

प्रत्यक्ष विधि --

            सरकार आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए जब प्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाने लगती है , तो वह तरीका प्रत्यक्ष विधि के अंतर्गत आता है। 

       कानून एवं व्यवस्था की स्थापना -- आर्थिक किर्याओं के शान्तिपूर्ण संचालन के लिए कानून - व्यवस्था की स्थापना आवश्यक है। सरकार विभिन्न प्रकार के कानूनों तथा पुलिस - प्रशासन के साथ मिलकर कानून एवं व्यवस्था की स्थापना करती है। 

आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता -- सभी प्रकार की आर्थिक क्रियाओं के सम्पादन के लिए सड़क , बिजली , पानी ,ऊर्जा तथा संचार जैसी सुविधाओं की आवश्यकता पड़ती है। सरकार इन सुविधाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करने का प्रयास करती है। 

संसाधनों की आपूर्ति -- भारत जैसे विकासशील देश में न केवल कच्चे माल की आपूर्ति की समस्या है , अपितु मानव संसाधन , पूँजी संसाधन , ऊर्जा संसाधन आदि की भी समस्या है। इसके लिए सरकार अपनी नीतियों तथा शिक्षा - प्रशिक्षण संस्थाओं के माध्यम से प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करती है। खनन एवं उत्खनन तथा विदेशों से बचे माल तथा आधुनिक मशीनों की आपर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है। 

औद्योगीकरण में प्रत्यक्ष भागीदारी -- जहाँ लाभ की सम्भावना कम होती है वहीं निजी क्षेत्र औद्योगीकरण में भूमिका निभाने से बचता है। ऐसी स्थिति में सरकार स्वयं आधारभूत उद्योगों की स्थापना एवं संचालन करते हुए औद्योगीकरण में प्रत्यक्ष भूमिका निभाते है। 

Comments

Popular posts from this blog

Water Crisis - जल संकट से जूझता मानव

जल प्रवाह प्रणाली

Eco Club