Water Crisis - जल संकट से जूझता मानव

जल संकट से जूझता मानव (Water Crisis)


वर्तमान समय में उतपन्न पेय जल की समस्या -- जल मानव की मूल आवश्यकता है।  यूँ तो धरातल का 70% से आधिक भाग जल से भरा है , किन्तु इस इनमे से अधिकतर हिस्से का पानी खरा अथवा पिने योग्य नहीं है।  पृथ्वी पर मनुष्य के प्रयोग हेतु कुल जल का मात्र 0.6% भाग ही मृद जल के रूप में उपलब्ध है।  वर्तमान समय में इस सिमित जल राशि का बड़ा भाग प्रदूषित हो चूका है फलश्वरूप पेय जल की समस्या उतपन्न हो गयी है।  जिस अनुपात में जल प्रदूषण में वृद्धि हो रही है , यदि यह  वृद्धि यूँ ही जारी रही , तो वः दिन दूर नहीं जब अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाये।  जल की अनुपलब्ध्ता की इस स्थिति को ही जल संकट कहा  जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है की वर्ष 2025 तक विकट जल समस्या से जूझती विश्व की दो - तिहाई ावादी अन्य देशों में रहने को मजबूर हो जाएगी।  


जल संकट के कारण -- जल संकट के कई कारण है।  पृथ्वी पर जल के अनेक श्रोत  है , जैसे- वर्षा ,  नदियां , झील , पोखर , झरने , भूमिगत श्रोत इत्यादि।  पिछले कुछ वर्षों में सिचाई एवं अन्य कार्यो के लिए भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग के कारण भूमिगत जल के स्तर में गिरावट आयी है।  सभी श्रोतों से प्राप्त जल मनुष्य के लिए उपयोगी नहीं होता।  औद्योगीकरण के कारण नदियों का जल  जा रहा है , इन्ही करने से मानव जगत में पेयजल की समस्या उतपन्न हो गयी है।  


प्राकृतिक संसाधनों में मनुष्य के लिए वायु के बाद जल का महत्वपूर्ण स्थान है।  ऐसी कारण विश्व की प्रायः  सभी सभ्यताओं का विकाश नदियों के किनारे ही हुआ है।  जल के आभाव में जीवन की कल्पना भी नई की जा सकती।  आज विश्व के 30% देश जल संकट का सामना कर रहे है। अमेरिका स्थित वल्ड वाच संस्थन की रिपोर्ट के अनुसार, हमारे देश में केवल 42% लोग ही पेय जल के रूप में स्वच्छ जल प्राप्त कर पाते है। 


जीवन के लिए जल की महत्ता -- मनुष्य के शरीर में जल की मात्रा 65% होती है।  रक्त के संचालन , शरीर के विभिन्न अंगो को स्वस्थ रखने , शरीर के विभिन्न ऊतँको को मुलायम तथा लोच दार रखने के अतिरिक्त शरीर की कई अन्य प्रक्रियाओं के लिए भी जल की समुचित मात्रा की आवश्यकता होती है।  इसके आभाव में मनुष्य की मृत्यु निश्चित है।  दैनिक जीवन में कार्य करते हये पशीने एवं उत्सर्जन प्रक्रिया के दौरान हमारे शरीर से जल बाहर निकलता है , इसलिए हमे नियत समय पर पानी पीते रहने की आवश्यकता होती है।  स्वास्थ्य विज्ञान के अनुसार , एक स्वस्थ मनुष्य को प्रतिदिन कम से कम चार लीटर पानी पीना चाहिए।  जीवन के लिए जल की अनिवार्यता के अतिरिक्त दैनिक जीवन के अन्य कार्यो जैसे - भोजन पकने , कपड़े साफ करने , मुँह - हाथ धोने एवं नहाने आदि के लिए भी जल की आवश्यकता पड़ती है।  

जल संरक्षण में वृक्षो का महत्व -- जल - संरक्षण वृक्षारोपड़ में भी सहायक साबित होता है।  वृक्ष वर्षा लाने एवं पर्यावरण में जल के संरक्षण में सहायक होते है।  इसके अतिरिक्त , वृक्ष वायुमंडल में नमि बनाये रखते है और तापमान की वृद्धि को भी रोकते है।  अतः जल संकट के समाधान के लिए वृक्षो की कटाई पर नियंत्रण कर  वृक्षारोपड को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।  वृक्षारोपड से पर्यावरण प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है।  



जल संकट को दूर करने के उपाय -- जल संकट को दूर करने के लिए जल के अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए , घरों में नालों को  व्यर्थ में नहीं चलने देना चाहिए।  जल की खपत कम  ककरने एवं उसके संरक्षण के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण करना भी आवश्य्क है।  जल को संरक्षित करने के लिए गाँवो में बड़े - बड़े तलवों एवं पोखरों का निर्माण किया जाना चाहिए , जिनमे वर्षा का जल संरक्षित हो सके और वर्षा के पश्चात जब आवश्यकता हो , इस जल का प्रयोग  सिचाई में किया जा सके।  ऐसा करने से भूमिगत जल के स्तर में भी वृद्धि होगी।  अधिक वर्षा वॉर क्षेत्रों में , जहाँ वर्षा - जल की उपलब्धता अधिक होती है , बड़े - बड़े बांधों का निर्माण किया जा सकता है।  ें बांधो से जल का संरक्षण तो होता ही है , मत्स्य पालन एवं विधुत  भी सहायता मिलती है।  

प्रकृति का श्रेष्ठतम प्राणी होने के नाते उसका कर्तव्य बनता है कि वः जल संकट की समस्या के समाधान के लिए जल - संरक्षण पर जोर दें।  जल मनुष्य को ही नही वल्कि पृथ्वी के हर प्राणी के लिए आवश्यक है , इसलिए जल को जीवन की संज्ञा दी गयी है।  यदि जल की समुचित मात्रा पृथ्वी पर न हो , तो तपमानन में वृद्धि के कारण भी प्राणियों का जीना मुश्किल हो जायेगा।  


इस समय जल प्रदूषण एवं अन्य कारणों से उतपन्न जल संकट के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है , इसलिए अपने अस्तित्व की ही नहीं , वल्कि पृथ्वी की रक्षा के लिए भी उसे इस जल संकट का समाधान शीध्र ही करना होगा और इस समस्या के समाधान के लिए उसे जल - संरक्षण के महत्व को स्वीकार करते हुए इसके  लिए आवश्यक कार्यों को अंजाम देना होगा वरना बहुत देर हो जाएगी।    




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