व्यापार सन्तुलन

व्यापार सन्तुलन --


          व्यापार सन्तुलन से तातपर्य दृश्य भौतिक वस्तुओं के आयात - निर्यात के मूल्यों के कुल अन्तर शेष से है। किसी देश का व्यापार सन्तुलन उस देश के आयात - निर्यात के अन्तर को दर्शाता है। 

व्यापार सन्तुलन के प्रकार -- 


अनुकूलन व्यापार  -- जब आयात मूल्य की अपेक्षा निर्यात मूल्य अधिक हो अर्थात विदेशो से मंगाई गई वस्तुओं के मूल्य विदेशों में भेजी गई वस्तुओं का मूल्य अधिक हो , तो उसे अनुकूल व्यापार सन्तुलन कहा जाएगा। 

प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन -- यह अनुकूल व्यापार सन्तुलन की विपरीत स्थति है अर्थात निर्यात मूल्य की अपेक्षा आयात मूल्य अधिक होती है। 

सन्तुलन व्यापार सन्तुलन -- जब आयात एवं निर्यात मूल्य सन्तुलन या बराबर की स्थिति में होता है , तो उसे मूल्य सन्तुलित व्यापार सन्तुलन कहा जाता है। 

भुगतान सन्तुलन -- 


भुगतान सन्तुलन आयात एवं निर्यात के लिये किए जाने वाले भुगतानों एवं प्राप्तियों की स्थिति को दर्शाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए , तो विदेशी व्यापार के लिए होने वाले लेन - देन या व्यवहारों का लेखांकन भुगतान सन्तुलन को प्रदर्शित करता है। यदि आयात - निर्यात अथवा विदेशी व्यापार में आमदमी अथवा प्राप्तियाँ भुगतान से अधिक हो तो वह अनुकूलन भुगतान सन्तुलन होगा। इसके विपरीत किया गया भुगतान प्राप्तियों से अधिक  प्रतिकूल भुगतान सन्तुलन  या भुगतान असन्तुलन की स्थिति होगी। 

भुगतान शेष के असन्तुलन को सन्तुलित करने के उपाय -- 


निर्यात को बढ़ावा -- निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संरचनात्मक सुविधा की उपलब्धता को बेहतर करना चाहिए, नई तकनीक को अपनाकर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। विशेष आर्थिक क्षेत्र पर बल भी दिया जाना चाहिए , कर संरचना को तार्किक बनाना चाहिए।

गुणवत्तापूर्ण उत्त्पादन में वृद्धि -- आधुनिक तकनीकों की सहायता से माँग के अनुरूप विविध प्रकार के समानो का गुणवत्तापूर्ण उत्त्पादन किया जाना चाहिए। 

व्यापार समझौते तथा विदेशी निवेश -- भुगतान असन्तुलन को दूर करने के लिए निर्यात को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए दूसरे देशों से व्यापार समझौते करने होंगे तथा अधिक - से - अधिक विदेशी निवेश को देश में लाना होगा। 

पेट्रोलियम एवं आभूषण के आयात पर नियंत्रण -- आयात का बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम एवं सोने का होता है। इससे भुगतान सन्तुलन बिगड़ता है , इसलिए इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए। 

आवश्यक आयात को बढ़ावा -- उत्पादक वस्तुओं के आयात को बढ़ावा तथा विलासिता की वस्तुओं के आयात पर नियंत्रण करना चाहिए। 

मुद्रा विनिमय पर नियंत्रण -- मुद्रा विनिमय या मुद्रा के मूल्य पर भी नियंत्रण रखना चाहिए। 

पर्यटन को प्रोत्साहन -- पर्यटन से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है ,  जिससे भुगतान असन्तुलन को ठीक किया जा सकता है। 


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