औद्योगिक नियोजन की समस्याएँ तथा असफलता के कारण --
भारत में औद्योगिक विकास लिए अपनाई गई नियोजन प्रक्रिया से औद्योगिक विकास तो हुआ , लेकिन अपेक्षित तथा लक्षय के अनुरूप नहीं हुआ। औद्योगिक विकास के अपेक्षित न होने का मूल कारण औद्योगिक नियोजन में व्याप्त समस्याएँ है।
लक्षयों की अनुरूप उपलधियों का आभाव -- सरकार औद्योगिक नियोजन के माध्यम से औद्योगिक विकास को अधिकतम करना चाहती है , परन्तु अतार्किक लक्षयों के निर्धारण की वजह से औद्योगिक विकास का लक्षय नहीं हो पाता है। फलतः लक्षयों और उपलब्धियों में अन्तर दिखाई पड़ता है।
अनुत्पादक क्षेत्र में निवेश -- भारत का औद्योगिक निवेश अधिकांशतः अनुत्पादक क्षेत्र में हो रहा है , परिणामस्वरूप औद्योगिक विकास लक्षय के अनुरूप नहीं है।
औद्योगिक नीयजन में माँग पर ध्यान नहीं देना -- उद्योगों की सफलता व्यापारिक या बजार की माँग पर निर्भर होती है लेकिन भारत औद्योगिक नियोजन में इस माँग पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसीलिए समस्या नहीं होती है।
क्षमता से कम उत्पादन -- औद्योगिक नियोजकों ने वृहत क्षमता वाले उद्योगों की स्थापना पर अधिक बल दिया जाता है , परन्तु उत्पादन के लिए आवश्यक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जाती फलस्वरूप उद्योग अपनी क्षमता से कम उत्पादन करते है।
क्षेत्र्रीय औद्योगिक संतुलन का आभाव -- औद्योगिक नियोजन में भारत के विशाल आकार तथा क्षेत्रीय असमानता पर पर्याप्त ढंग से ध्यान नहीं दिया गया है। फलतः इससे औद्योगिक विकास प्रभावित होता है।
छोटे उद्योगों का कम विकास -- भारत में औद्योगिक नियोजन की एक मुख्य समस्या है , छोटे उद्योगों के विकास पर ध्यान नहीं देना है। इसका प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रभाव औद्योगिक विकास तथा रोजगार सृजन पर पड़ता है।
सार्वजनिक उपक्रमों की अक्षमता -- औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा सर्वजननिक उपक्रमों की स्थापना की गई , लेकिन उपक्रमों के प्रबंधन में कुव्यवस्था तथा उत्पादन साधनों की अपर्याप्तता के कारण सार्वजनिक उपक्रमों के प्रबन्धन में कुव्यबस्था तथा उत्पादन साधनों की अपर्याप्तता के कारण सार्वजनिक उपक्रम अपनी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पाते है।
भारत में औद्योगिक विकास लिए अपनाई गई नियोजन प्रक्रिया से औद्योगिक विकास तो हुआ , लेकिन अपेक्षित तथा लक्षय के अनुरूप नहीं हुआ। औद्योगिक विकास के अपेक्षित न होने का मूल कारण औद्योगिक नियोजन में व्याप्त समस्याएँ है।
लक्षयों की अनुरूप उपलधियों का आभाव -- सरकार औद्योगिक नियोजन के माध्यम से औद्योगिक विकास को अधिकतम करना चाहती है , परन्तु अतार्किक लक्षयों के निर्धारण की वजह से औद्योगिक विकास का लक्षय नहीं हो पाता है। फलतः लक्षयों और उपलब्धियों में अन्तर दिखाई पड़ता है।
अनुत्पादक क्षेत्र में निवेश -- भारत का औद्योगिक निवेश अधिकांशतः अनुत्पादक क्षेत्र में हो रहा है , परिणामस्वरूप औद्योगिक विकास लक्षय के अनुरूप नहीं है।
औद्योगिक नीयजन में माँग पर ध्यान नहीं देना -- उद्योगों की सफलता व्यापारिक या बजार की माँग पर निर्भर होती है लेकिन भारत औद्योगिक नियोजन में इस माँग पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसीलिए समस्या नहीं होती है।
क्षमता से कम उत्पादन -- औद्योगिक नियोजकों ने वृहत क्षमता वाले उद्योगों की स्थापना पर अधिक बल दिया जाता है , परन्तु उत्पादन के लिए आवश्यक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जाती फलस्वरूप उद्योग अपनी क्षमता से कम उत्पादन करते है।
क्षेत्र्रीय औद्योगिक संतुलन का आभाव -- औद्योगिक नियोजन में भारत के विशाल आकार तथा क्षेत्रीय असमानता पर पर्याप्त ढंग से ध्यान नहीं दिया गया है। फलतः इससे औद्योगिक विकास प्रभावित होता है।
छोटे उद्योगों का कम विकास -- भारत में औद्योगिक नियोजन की एक मुख्य समस्या है , छोटे उद्योगों के विकास पर ध्यान नहीं देना है। इसका प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रभाव औद्योगिक विकास तथा रोजगार सृजन पर पड़ता है।
सार्वजनिक उपक्रमों की अक्षमता -- औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा सर्वजननिक उपक्रमों की स्थापना की गई , लेकिन उपक्रमों के प्रबंधन में कुव्यवस्था तथा उत्पादन साधनों की अपर्याप्तता के कारण सार्वजनिक उपक्रमों के प्रबन्धन में कुव्यबस्था तथा उत्पादन साधनों की अपर्याप्तता के कारण सार्वजनिक उपक्रम अपनी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पाते है।
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