औद्योगिक विकास की सम्भावनाएँ --
भारत की विशाल आबादी और वृहत भौगोलिक विस्तार औद्योगिक विकास की अपार सम्भावनाएँ पैदा करते है।
प्रचुर प्राकृतिक संसाधन -- 32 लाख वर्ग किमी से अधिक में विस्तृत भारत्त विश्व का सातवाँ क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा देश है , जहाँ प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के खनिज संसाधन मिलती है , जो उद्योगों के लिए आवश्यक है।
कृषि योग्य उर्वर भूमि की प्रचूरता -- उत्तरी भारत के विशाल मैदान तथा अन्य नदी बेसिन के अन्तर्गत भारत के कृषि योग्य भूमि की काफी उपलब्धतता है कृषि से न केवल विशाल आवादी का पेट भारत है ,अपितु बहुत सारे उद्योगों को कच्चा माल भी प्राप्त होता खाद्य प्रसंस्करण उद्योग , औषधि उद्योग आदि कृषि उत्पादों पर निर्भर करते है।
मानवीय संसाधन -- विश्व के दूसरे सर्वाधिक जनसंख्या वाले भारत को सबसे युवा राष्ट्र माना जाता है। जहाँ युवा लोगों की आबादी विश्व में सबसे अधिक है , इसलिए उद्योगों को श्रम आपूर्ति की कोई समस्या नहीं होती है। सरकारी प्रयास के माध्यम से मानवीय कुशलता को बेहतर किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में भारत जननांकिकीय लाभांश की स्थिति में होगा। इससे औद्योगिक विकास की सम्भावना और मजबूत होगी।
बृहत बाजार -- भारत की विशाल आवादी पूरे विश्व को वृहत बाजार उपलब्ध करती है। इस बाजार के कारण विदेशी कम्पनियाँ भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है। इस निवेश में पूँजी के साथ - साथ आधुनिक तकनीकों का आगमन हो रहा है।
सरकारी सहयोग -- सरकार औद्योगिक विकास के लिए उदारीकरण , निजीकरण तथा भूमण्डलीकरण आदि विभिन्न प्रकार की नीतियों तथा योजनाओं का निर्माण करती है। इसके अतिरिक्त विदेशी निवेश को सरल बनाया गया। आधारभूत सुविधाओं को बेहरत करने का प्रयास भी जारी है। सरकार के इन सभी प्रयासों से औद्योगिक विकास की सम्भावना बेहतर होती जाती है।
औद्योगिक विकास के लिए सुझाव --
प्राकृतिक संसाधनों का उचित दोहन -- भारत में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। भारत में कोयले का 5 वा सबसे बड़ा भण्डार है , किन्तु इनका खनन न हो पाने के कारण कोयला आयात करना पड़ता है। अतः प्राकृतिक संसाधनों का सर्वेक्षण व् दोहन किया जाना चाहिए।
औद्योगिक वित्त की व्यवस्था -- ऐसे वित्तीय संसाधनों की स्थापना की जानी चाहिए , जो बड़े उद्योगों की स्थापना के लिए वित्तीय सुविधाएँ कम ब्याज पर उपलब्ध कराने में सक्षम हो।
परिवहन व् संचार के साधनों का विकास -- परिवहन व् संचार के साधन औद्योगीकरण के मुख्य अवयव है। इनके विकास से उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहन मिलता है। अतः इनके विकास की गति तेज की जानी चाहिए।
भारत की विशाल आबादी और वृहत भौगोलिक विस्तार औद्योगिक विकास की अपार सम्भावनाएँ पैदा करते है।
प्रचुर प्राकृतिक संसाधन -- 32 लाख वर्ग किमी से अधिक में विस्तृत भारत्त विश्व का सातवाँ क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा देश है , जहाँ प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के खनिज संसाधन मिलती है , जो उद्योगों के लिए आवश्यक है।
कृषि योग्य उर्वर भूमि की प्रचूरता -- उत्तरी भारत के विशाल मैदान तथा अन्य नदी बेसिन के अन्तर्गत भारत के कृषि योग्य भूमि की काफी उपलब्धतता है कृषि से न केवल विशाल आवादी का पेट भारत है ,अपितु बहुत सारे उद्योगों को कच्चा माल भी प्राप्त होता खाद्य प्रसंस्करण उद्योग , औषधि उद्योग आदि कृषि उत्पादों पर निर्भर करते है।
मानवीय संसाधन -- विश्व के दूसरे सर्वाधिक जनसंख्या वाले भारत को सबसे युवा राष्ट्र माना जाता है। जहाँ युवा लोगों की आबादी विश्व में सबसे अधिक है , इसलिए उद्योगों को श्रम आपूर्ति की कोई समस्या नहीं होती है। सरकारी प्रयास के माध्यम से मानवीय कुशलता को बेहतर किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में भारत जननांकिकीय लाभांश की स्थिति में होगा। इससे औद्योगिक विकास की सम्भावना और मजबूत होगी।
बृहत बाजार -- भारत की विशाल आवादी पूरे विश्व को वृहत बाजार उपलब्ध करती है। इस बाजार के कारण विदेशी कम्पनियाँ भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है। इस निवेश में पूँजी के साथ - साथ आधुनिक तकनीकों का आगमन हो रहा है।
सरकारी सहयोग -- सरकार औद्योगिक विकास के लिए उदारीकरण , निजीकरण तथा भूमण्डलीकरण आदि विभिन्न प्रकार की नीतियों तथा योजनाओं का निर्माण करती है। इसके अतिरिक्त विदेशी निवेश को सरल बनाया गया। आधारभूत सुविधाओं को बेहरत करने का प्रयास भी जारी है। सरकार के इन सभी प्रयासों से औद्योगिक विकास की सम्भावना बेहतर होती जाती है।
औद्योगिक विकास के लिए सुझाव --
प्राकृतिक संसाधनों का उचित दोहन -- भारत में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। भारत में कोयले का 5 वा सबसे बड़ा भण्डार है , किन्तु इनका खनन न हो पाने के कारण कोयला आयात करना पड़ता है। अतः प्राकृतिक संसाधनों का सर्वेक्षण व् दोहन किया जाना चाहिए।
औद्योगिक वित्त की व्यवस्था -- ऐसे वित्तीय संसाधनों की स्थापना की जानी चाहिए , जो बड़े उद्योगों की स्थापना के लिए वित्तीय सुविधाएँ कम ब्याज पर उपलब्ध कराने में सक्षम हो।
परिवहन व् संचार के साधनों का विकास -- परिवहन व् संचार के साधन औद्योगीकरण के मुख्य अवयव है। इनके विकास से उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहन मिलता है। अतः इनके विकास की गति तेज की जानी चाहिए।
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