भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण --
किसी राष्ट्र को अर्थव्यवस्ठा का वैश्विक अर्थव्यव्स्था के साथ एकीकरण हो जाना ही भूमण्डलीकरण है। भूमण्डलीकरण से वस्तुओ , सेवाओं , तकनीकों तथा श्रम स्वतंत्र प्रवाह पूरे विश्व में होने लगता है , जिससे आर्थिक विकास तीव्र गति से होता है। भारत में वैश्वीकरण तथा निजीकरण को वर्ष 1919 की नई आर्थिक नीति में अपनाया गया।
भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण के उद्देश्य --
वैश्वीकरण का मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना है।
विकसित देशों में उपयोग की जा रही आधुनिक तकनीकों तथा बेहतर प्रबंन्ध व्यवस्था को भारत में लाने का प्रयास करना।
विदेशी तकनीकों से उत्पादन एवं उत्पादक क्षमता में वृद्धि लाना तथा उत्पादित वस्तुओं की गुडवत्ता में सुधार करना।
संस्थागत तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से आर्थिक विकास को गति प्रदान करना।
भारतीय बाजार को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिए तैयार करना।
औद्योगिक विकेन्द्रीकरण --
औद्योगिक विकेन्द्रीकरण से तातपर्य उद्योगों का क्षेत्रीय बिखराव है अर्थात उद्योगों का संकेन्द्रण किसी एक क्षेत्र में नही होनी चाहिए , बल्कि पूरे देश में समान रूप से विकेन्द्रित होना चाहिए। भारत में औद्योगिक विकास के लिए क्षेत्रीय नियोजन को अपनाया गया है , जिससे पूरे देश का सन्तुलित औद्योगिक विकास हो। औद्योगिक विकेन्द्रीकरण को विस्थानीयकरण के नाम से भी जाना जाता है।
भारत में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण की विशेषताएँ एवं उद्देश्य --
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ जिस समाजवादी आर्थिक विचारधारा को अपनाया गया , उसमे औद्योगिक विकेन्द्रीकरण का उद्देश्य शामिल था।
प्रथम तथा द्वितीय औद्योगिक नीति के उद्देश्य्यो में भी औद्योगिक विकेन्द्रीकरण शामिल था। इसके अन्तर्गत बड़े - बड़े उद्योगों की स्थापना की गई।
भारत में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में सन्तुलित ढंग से औद्योगिक विकास करना है। औद्योगिक विकेन्द्रीकरण के माध्यम से पूरे देश में आधारभूत सुविधाओं को मजबूत करना है।
भारत में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण को मुख्यतः सरकार द्वारा आगे बढ़ाया जाना है।
औद्योगिक विकेन्द्रीकरण में माध्यम से रोजगार के अवसरों का सृजन होता है।
विकेन्द्रीकरण के कारण तथा लाभ --
देश में उद्योगों का विकेन्द्रकरण निरन्तर तीव्र गति से हो रहा है। विकेन्द्रीकरण के लाभों के कारण ही उद्योगों के विकेन्द्रीकरण पर बल दिया जा रहा है।
देश का सन्तुलन विकास -- उद्योगों की विकेन्द्रीकरण नीति के द्वारा क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करके देश के सन्तुलन आर्थिक विकास और राष्ट्रिय एकता को बल मिलता है।
देश की सुरक्षा -- युद्ध के दौरान हवाई हमलों के द्वारा किसी भी देश के औद्योोगिक केन्द्रों को बर्बाद किया जा सकता है , किन्तु यदि देश में उद्योग - धन्धो को भिन्न - भिन्न क्षेत्रों में स्थापित किया गया है , तो आर्थिक व्यवस्था के नष्ट होने का भय नहीं रहता तथा देश सुरक्षित रहता है।
परिवहनं तथा संचार के साधनों का विकास -- देश में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण से सरकार भी परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास करती है , जिससे कच्चे मॉल , निर्मित माल , श्रमिकों , मशीनों आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने - ले जाने में आसानी रहती है।
व्यापारिक सुविधाओं का विकास -- वर्तमान में विकेन्द्रीकरण के कारण ही बैंकिंग , बीमा , विज्ञापन आदि की सुविधाएँ नगरों के साथ - साथ सभी कस्बों तथा ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुँचा गई है।
रोजगार के अवसरों में वृद्धि --
विकेन्द्रीकरण से विभिन्न प्रकार के उद्योग - धन्धे विभिन्न स्थानों में स्थापित हो जाते है , जिससे भिन्न - भिन्न क्षेत्रों के बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हो जाता है।
जल - विधुत शक्ति का विकास -- विधुत सभी स्थानों पर उपलब्ध होने के कारण औद्योगिक इकाइयो को देश के किसी भी भाग में स्थापित किया जा सकता है।
अन्य लाभ -- उद्योगो का विकेन्द्रीकरण होने से न तो अचानक व्यापक रूप से बेरोजगार फैसले का भय रहता और न ही आर्थिक शक्तियों का केन्द्रीकरण हो पाता है।
किसी राष्ट्र को अर्थव्यवस्ठा का वैश्विक अर्थव्यव्स्था के साथ एकीकरण हो जाना ही भूमण्डलीकरण है। भूमण्डलीकरण से वस्तुओ , सेवाओं , तकनीकों तथा श्रम स्वतंत्र प्रवाह पूरे विश्व में होने लगता है , जिससे आर्थिक विकास तीव्र गति से होता है। भारत में वैश्वीकरण तथा निजीकरण को वर्ष 1919 की नई आर्थिक नीति में अपनाया गया।
भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण के उद्देश्य --
वैश्वीकरण का मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना है।
विकसित देशों में उपयोग की जा रही आधुनिक तकनीकों तथा बेहतर प्रबंन्ध व्यवस्था को भारत में लाने का प्रयास करना।
विदेशी तकनीकों से उत्पादन एवं उत्पादक क्षमता में वृद्धि लाना तथा उत्पादित वस्तुओं की गुडवत्ता में सुधार करना।
संस्थागत तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से आर्थिक विकास को गति प्रदान करना।
भारतीय बाजार को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिए तैयार करना।
औद्योगिक विकेन्द्रीकरण --
औद्योगिक विकेन्द्रीकरण से तातपर्य उद्योगों का क्षेत्रीय बिखराव है अर्थात उद्योगों का संकेन्द्रण किसी एक क्षेत्र में नही होनी चाहिए , बल्कि पूरे देश में समान रूप से विकेन्द्रित होना चाहिए। भारत में औद्योगिक विकास के लिए क्षेत्रीय नियोजन को अपनाया गया है , जिससे पूरे देश का सन्तुलित औद्योगिक विकास हो। औद्योगिक विकेन्द्रीकरण को विस्थानीयकरण के नाम से भी जाना जाता है।
भारत में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण की विशेषताएँ एवं उद्देश्य --
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ जिस समाजवादी आर्थिक विचारधारा को अपनाया गया , उसमे औद्योगिक विकेन्द्रीकरण का उद्देश्य शामिल था।
प्रथम तथा द्वितीय औद्योगिक नीति के उद्देश्य्यो में भी औद्योगिक विकेन्द्रीकरण शामिल था। इसके अन्तर्गत बड़े - बड़े उद्योगों की स्थापना की गई।
भारत में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में सन्तुलित ढंग से औद्योगिक विकास करना है। औद्योगिक विकेन्द्रीकरण के माध्यम से पूरे देश में आधारभूत सुविधाओं को मजबूत करना है।
भारत में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण को मुख्यतः सरकार द्वारा आगे बढ़ाया जाना है।
औद्योगिक विकेन्द्रीकरण में माध्यम से रोजगार के अवसरों का सृजन होता है।
विकेन्द्रीकरण के कारण तथा लाभ --
देश में उद्योगों का विकेन्द्रकरण निरन्तर तीव्र गति से हो रहा है। विकेन्द्रीकरण के लाभों के कारण ही उद्योगों के विकेन्द्रीकरण पर बल दिया जा रहा है।
देश का सन्तुलन विकास -- उद्योगों की विकेन्द्रीकरण नीति के द्वारा क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करके देश के सन्तुलन आर्थिक विकास और राष्ट्रिय एकता को बल मिलता है।
देश की सुरक्षा -- युद्ध के दौरान हवाई हमलों के द्वारा किसी भी देश के औद्योोगिक केन्द्रों को बर्बाद किया जा सकता है , किन्तु यदि देश में उद्योग - धन्धो को भिन्न - भिन्न क्षेत्रों में स्थापित किया गया है , तो आर्थिक व्यवस्था के नष्ट होने का भय नहीं रहता तथा देश सुरक्षित रहता है।
परिवहनं तथा संचार के साधनों का विकास -- देश में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण से सरकार भी परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास करती है , जिससे कच्चे मॉल , निर्मित माल , श्रमिकों , मशीनों आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने - ले जाने में आसानी रहती है।
व्यापारिक सुविधाओं का विकास -- वर्तमान में विकेन्द्रीकरण के कारण ही बैंकिंग , बीमा , विज्ञापन आदि की सुविधाएँ नगरों के साथ - साथ सभी कस्बों तथा ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुँचा गई है।
रोजगार के अवसरों में वृद्धि --
विकेन्द्रीकरण से विभिन्न प्रकार के उद्योग - धन्धे विभिन्न स्थानों में स्थापित हो जाते है , जिससे भिन्न - भिन्न क्षेत्रों के बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हो जाता है।
जल - विधुत शक्ति का विकास -- विधुत सभी स्थानों पर उपलब्ध होने के कारण औद्योगिक इकाइयो को देश के किसी भी भाग में स्थापित किया जा सकता है।
अन्य लाभ -- उद्योगो का विकेन्द्रीकरण होने से न तो अचानक व्यापक रूप से बेरोजगार फैसले का भय रहता और न ही आर्थिक शक्तियों का केन्द्रीकरण हो पाता है।
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