वस्तु विनिमय या प्रत्यक्ष विनिमय प्रणाली या अदला - बदली विनिमय प्रणाली --

जब व्यक्ति वस्तु या सेवाओं का आदान - प्रदान बिना किसी माध्यम के प्रत्यक्ष रूप से करता है , तो उसे वस्तु विनिमय कहा जाता है | साधारण शब्दों में वस्तुऔ का प्रत्यक्ष रूप से आदान - प्रदान वस्तु विनिमय कहलाता है | इसमें मुद्रा की भूमिका नहीं होती है | दूसरे शब्दों में कहा जाए तो , बिना रूपये - पैसे या धन के वस्तुओ के प्रत्यक्ष रूप से आदान - प्रदान को वस्तु विनिमय कहा जाता है |
अर्थशास्त्र के कुछ विद्वानों ने वस्तु विनिमय को निम्न रूपों में परिभाषित किया है

एस . ई . थाँमस के अनुसार एक वस्तु से दूसरी वस्तु की प्रत्यक्ष अद्ल - बदल ही वस्तु विनिमय कहलाती है |

आर . पी . कैन्ट के अनुसार मुद्रा को विनिमय के माध्यम के रूप में प्रयोग किए बिना वस्तुओं का वस्तुओं में प्रत्यक्ष लेन - देन वस्तु विनिमय कहलाता है |

वस्तु विनिमय प्रणाली के गुण -- 

विकेन्द्रीकरण प्रणाली -- वस्तु विनिमय प्रणाली का स्तर न्यूनतम तथा क्षेत्र सिमित होता है | वस्तुओं के कष्ट होने का भय लोगों के मन में बना रहता है | अतः वे वस्तुओ का अधिक मात्रा में संग्रहण नहीं करते है | अतः यह व्यवस्था पूँजीवादी धन के केन्द्रीकरण के दोषों से मुक्त होती है |

सरल प्रणाली -- अशिक्षित व्यक्ति मुद्रा का ठीक से हिसाब नहीं लगा पाते है , परन्तु वह वस्तुओं का आदान - प्रदान करके अपनी आवश्यकताएँ पूरी कर सकते है | इस आधार पर वस्तु विनिमय एक सरल प्रणाली है |

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापर के लिए उपयुक्त -- विभिन्न देशों की मुद्राएँ भिन्न - भिन्न होती है , जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भुगतान की समस्या रहती है | अतः वस्तु विनिमय द्वारा इस समस्या को दूर किया जा सकता है |

पारस्परिक सहयोग -- वस्तुओं के प्रत्यक्ष आदान - प्रदान के कारण लोगों में सहयोग की भावना जाग्रत होती है , जो राष्ट्रीय एकता के प्रोत्साहन में सहायक होती है |

मौद्रिक पद्धति के दोषों से मुक्ति -- मौद्रिक पद्धति में अनेक प्रकार की स्थितियाँ उतपन्न होती रहती है , जैसे - मुद्रा संकुचन , मुद्रा प्रसार आदि , परन्तु वस्तु विनिमय में इस प्रकार की स्थिति उतपन्न नहीं होती है |

विनिमय प्रक्रिया द्वारा दोनों पक्षों को लाभ -- जिन व्यक्तियों के पास वस्तुओं की अधिकता होती है , उनके लिए इस अधिकता का उपयोग कम होता है | फलतः उनके द्वारा वस्तु विनिमय की क्रिया की जाती है | अतः व्यक्ति कम उपयोगी वस्तु देकर अधिक उपयोगी वस्तु को प्राप्त करना चाहते है | इससे दोनों पक्षों को विनिमय की क्रिया से लाभ होता है \

माँग तथा पूर्ति में संतुलन -- वस्तु विनिमय प्रणाली में व्यक्ति या तो अपने उपभोग के लिए वस्तुओं का उत्पादन करते है या अपने लिए अन्य उपयोगी वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए करते है | अतः वस्तुओं की पूर्ति उनकी माँग के अनुसार ही की जाती है , जिससे माँग तथा पूर्ति में सन्तुलन बना रहता है |














Comments

Popular posts from this blog

Water Crisis - जल संकट से जूझता मानव

जल प्रवाह प्रणाली

Eco Club