मुद्रा विनिमय या अप्रत्यक्ष विनिमय या क्रय - विक्रय प्रणाली --
वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत उतपन्न समस्याओं के समाधान के लिए ऐसी वस्तु की आवश्यकता प्रतीत हुई , जिसके द्वारा इस समस्या का समाधान हो सके। इसी आवश्यकता के क्रम में मुद्रा का जन्म हुआ।
हेन्सन के अनुसार मुद्रा का जन्म वस्तु विनिमय की कठिनाई से संबन्धित है।
जब किसी भी विनिमय प्रणाली में मुद्रा विनिमय की भूमिका निभाने लगती है या मुद्रा विनिमय का माध्यम बन जाती है , तो वह प्रणाली मुद्रा विनिमय प्रणाली कहलाती है। दूसरे शब्दों में खा जाए तो वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय - विक्रय या आदान - प्रदान के लिए जब मुद्रा की सहायता की जाती है या उसका उपयोग किया जाता है ,तो वह प्रणाली मुद्रा विनिमय प्रणाली या क्रय - विक्रय प्रणाली कहलाती है।
मुद्रा विनिमय प्रणाली के गुड़ --
वस्तु विनिमय प्रणाली की समस्याओं का निराकरण --
वस्तु विनिमय प्रणाली से उतपन्न समस्याओं को दूर करने के लिए मुद्रा विनिमय प्रणाली का विकास किया गया।
वस्तुओं की विभाजयता -- मुद्रा विनिमय प्रणाली से वस्तुओं की विभाजयता या छोटे - छोटे स्तर पर वस्तुओं के क्रय - विक्रय सम्भव हो जाते है , जो वस्तु विनिमय प्रणाली में सम्भव नहीं था।
दोह्ररे संयोग की आवश्यकता नहीं -- वस्तु के विपरीत मुद्रा विनिमय में क्रेता - विक्रेता के दोहरे संयोग की आवश्यकता , क्योकि मुद्रा के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से विनिमय किया जा सकता है।
मूल्य का आधार -- मुद्रा विनिमय प्रणाली में मुद्रा के कारण वस्तु एवं सेवाओं के मूल्यों का मापन आसान हो जाता है।
धन का संचय -- मुद्रा विनिमय में ,मुद्रा के रूप में धन संचय सम्भव होता है , जबकि वस्तु विनिमय में वस्तु के खराब होने की सम्भावना रहती है खराब होने की सम्भावना रहती है।
सेवाओं का भुगतान -- वस्तु विनिमय प्रणाली में सेवाओं के भुगतान में सम्म्स्या होती है , जबकि मुद्रा विनिमय में ऐसी समस्या नहीं होती है।
सेवाओं के भुगतान में सुविधा -- वस्तु - विनिमय प्रणाली में अनेक वस्तुओं का भुगतान करना संभव नहीं था जैसे - डाँक्टर तथा वकील आदि की सेवाओं का , परन्तु मुद्रा की सहायता से इस समस्या के समाधान में सफलता प्राप्त हो गई है।
मुद्रा विनिमय प्रणाली के दोष -- वस्तु विनिमय प्रणाली से उतपन्न समस्याओं को दूर करने में मुद्रा विनिमय प्रणाली काफी उपयोगी रही है , परन्तु इस प्रणाली ने भी कई तरह की समस्याएँ उतपन्न की है। जिनका राष्ट्रिय आर्थिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव होता है। मुद्रा विनिमय प्रणाली से मुद्रा स्फीति , जैसी समस्याएं उतपन्न होती है।
वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत उतपन्न समस्याओं के समाधान के लिए ऐसी वस्तु की आवश्यकता प्रतीत हुई , जिसके द्वारा इस समस्या का समाधान हो सके। इसी आवश्यकता के क्रम में मुद्रा का जन्म हुआ।
हेन्सन के अनुसार मुद्रा का जन्म वस्तु विनिमय की कठिनाई से संबन्धित है।
जब किसी भी विनिमय प्रणाली में मुद्रा विनिमय की भूमिका निभाने लगती है या मुद्रा विनिमय का माध्यम बन जाती है , तो वह प्रणाली मुद्रा विनिमय प्रणाली कहलाती है। दूसरे शब्दों में खा जाए तो वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय - विक्रय या आदान - प्रदान के लिए जब मुद्रा की सहायता की जाती है या उसका उपयोग किया जाता है ,तो वह प्रणाली मुद्रा विनिमय प्रणाली या क्रय - विक्रय प्रणाली कहलाती है।
मुद्रा विनिमय प्रणाली के गुड़ --
वस्तु विनिमय प्रणाली की समस्याओं का निराकरण --
वस्तु विनिमय प्रणाली से उतपन्न समस्याओं को दूर करने के लिए मुद्रा विनिमय प्रणाली का विकास किया गया।
वस्तुओं की विभाजयता -- मुद्रा विनिमय प्रणाली से वस्तुओं की विभाजयता या छोटे - छोटे स्तर पर वस्तुओं के क्रय - विक्रय सम्भव हो जाते है , जो वस्तु विनिमय प्रणाली में सम्भव नहीं था।
दोह्ररे संयोग की आवश्यकता नहीं -- वस्तु के विपरीत मुद्रा विनिमय में क्रेता - विक्रेता के दोहरे संयोग की आवश्यकता , क्योकि मुद्रा के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से विनिमय किया जा सकता है।
मूल्य का आधार -- मुद्रा विनिमय प्रणाली में मुद्रा के कारण वस्तु एवं सेवाओं के मूल्यों का मापन आसान हो जाता है।
धन का संचय -- मुद्रा विनिमय में ,मुद्रा के रूप में धन संचय सम्भव होता है , जबकि वस्तु विनिमय में वस्तु के खराब होने की सम्भावना रहती है खराब होने की सम्भावना रहती है।
सेवाओं का भुगतान -- वस्तु विनिमय प्रणाली में सेवाओं के भुगतान में सम्म्स्या होती है , जबकि मुद्रा विनिमय में ऐसी समस्या नहीं होती है।
सेवाओं के भुगतान में सुविधा -- वस्तु - विनिमय प्रणाली में अनेक वस्तुओं का भुगतान करना संभव नहीं था जैसे - डाँक्टर तथा वकील आदि की सेवाओं का , परन्तु मुद्रा की सहायता से इस समस्या के समाधान में सफलता प्राप्त हो गई है।
मुद्रा विनिमय प्रणाली के दोष -- वस्तु विनिमय प्रणाली से उतपन्न समस्याओं को दूर करने में मुद्रा विनिमय प्रणाली काफी उपयोगी रही है , परन्तु इस प्रणाली ने भी कई तरह की समस्याएँ उतपन्न की है। जिनका राष्ट्रिय आर्थिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव होता है। मुद्रा विनिमय प्रणाली से मुद्रा स्फीति , जैसी समस्याएं उतपन्न होती है।
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