राज्यसभा की शक्तियाँ अथवा कार्य --
विधायी शक्तियाँ -- साधारण विधेयक किसी भी सदन में आरम्भ किए जा सकते है। दोनों सदनों से पारित विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। दोनों सदनों में गतिरोध उतपन्न होने पर राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुला सकते है , लेकिन व्यवहार में लोकसभा की सदस्य संख्या अधिक होने के कारण वह विधेयक पारित करा लेती है। राज्यसभा ऐसे विधेयकों को कानून बनाने से नहीं रोक सकती , किन्तु उन्हें ज्यादा - से - ज्यादा 6 माह तक रोक सकती है।
वित्तीय शक्तियाँ -- धन विधेयक पर राज्यसभा की शक्ति केवल विलंबकारी व् नाममात्र की है। धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। लोकसभा से पारित होने के बाद धन विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाता है। राज्यसभा 14 दिनों के अन्दर अपने विचार तथा सहमति अथवा असहमति संबन्धी संस्तुति के साथ इसे लोकसभा में भेजती है। राज्यसभा इसे केवल 14 दिन तक रोक सकती है। इसके उपरान्त इसे राज्यसभा के असहमत होने पर भी पारित समझा जाता है।
प्रशासकीय शक्तियाँ -- राज्यसभा की प्रशासकीय शक्तियाँ भी नाममात्र की है , हालाँकि मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है , फिर भी राज्यसभा मंत्रियों से पूरक प्रश्न आदि पूछकर , काम रोको प्रस्ताव पास करके मंत्रिमण्डल पर प्रभाव डालती है , परन्तु अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती।
न्यायिक शक्तियाँ --
राज्यसभा , लोकसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति , सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के न्यायधिशो , मुख्य चुनाव आयुक्त महान्ययवादी , नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक के दोषरोपो की जाँच करती है तथा सिद्ध होने पर उन्हें हटाने का प्रस्ताव पास करती है।
राज्यसभा अपने सदस्यों के व्यवहार तथा गतिविधियों की जाँच के लिए समिति गठित कर सकती है तथा उनके विरुद्ध उचित कार्यवाही कर सकती है।
राज्यसभा , लोकसभा के साथ मिलकर विशेष न्यायालयों की स्थापना करती है।
राज्यसभा अपने विशेषाधिकारों का उल्ल्घंन तथा मानहानि करने वाले व्यक्ति अथवा संस्था को दण्ड दे सकती है।
निर्वाचन संबन्धी शक्तियाँ -- राज्यसभा राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्र्रपति के चुनाव में लोकसभा के साथ भाग लेती है। इसके अतिरिक्त राज्यसभा अपने उपसभापति का चुनाव भी करती है।
संविधान संशोधन संबन्धी शक्तियाँ -- संविधान संशोधन विधेयक के विषय में राज्यसभा की शक्तियाँ लोकसभा के समान है। संविधान संशोधन विधेयक संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है तथा यह दोनों सदनों में बहुमत से पास होना आवश्यक है , अगर राज्यसभा इसे पास न करे तो यह समाप्त हो जाता है। संविधान संशोधन विधेयक पर संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है।
आपातकाल संबन्धी शक्तियाँ -- राष्ट्रपति द्वारा की गई आपात उद्घोहणा की स्वीकृति संसद के दोनों सदनों द्वारा होना अनिवार्य है , क्योकि राज्यसभा स्थायी सदन है। अतः लोकसभा के भंग होने की स्थिति में राज्यसभा द्वारा ही इसे स्वीकृति प्रदान की जाती है।
राज्यसभा की विशेष शक्तियाँ --
अनुच्छेद - 249 के अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि राज्यसभा राज्य - सूची के किसी विषय को राष्ट्रिय महत्व का घोषित करके संसद को इस पर कानून बनाने का अधिकार प्रदान कर सकती है।
अनुच्छेद - 312 के अन्तर्गत राज्यसभा संसद को केन्द्र एवं राज्य दोनों के लिए नई अखिल भारतीय सेवा के सृजन हेतु अधिकृत कर सकती है।
उपराष्ट्रपती को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में ही आरम्भ किया जा सकता है।
विधायी शक्तियाँ -- साधारण विधेयक किसी भी सदन में आरम्भ किए जा सकते है। दोनों सदनों से पारित विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। दोनों सदनों में गतिरोध उतपन्न होने पर राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुला सकते है , लेकिन व्यवहार में लोकसभा की सदस्य संख्या अधिक होने के कारण वह विधेयक पारित करा लेती है। राज्यसभा ऐसे विधेयकों को कानून बनाने से नहीं रोक सकती , किन्तु उन्हें ज्यादा - से - ज्यादा 6 माह तक रोक सकती है।
वित्तीय शक्तियाँ -- धन विधेयक पर राज्यसभा की शक्ति केवल विलंबकारी व् नाममात्र की है। धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। लोकसभा से पारित होने के बाद धन विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाता है। राज्यसभा 14 दिनों के अन्दर अपने विचार तथा सहमति अथवा असहमति संबन्धी संस्तुति के साथ इसे लोकसभा में भेजती है। राज्यसभा इसे केवल 14 दिन तक रोक सकती है। इसके उपरान्त इसे राज्यसभा के असहमत होने पर भी पारित समझा जाता है।
प्रशासकीय शक्तियाँ -- राज्यसभा की प्रशासकीय शक्तियाँ भी नाममात्र की है , हालाँकि मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है , फिर भी राज्यसभा मंत्रियों से पूरक प्रश्न आदि पूछकर , काम रोको प्रस्ताव पास करके मंत्रिमण्डल पर प्रभाव डालती है , परन्तु अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती।
न्यायिक शक्तियाँ --
राज्यसभा , लोकसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति , सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के न्यायधिशो , मुख्य चुनाव आयुक्त महान्ययवादी , नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक के दोषरोपो की जाँच करती है तथा सिद्ध होने पर उन्हें हटाने का प्रस्ताव पास करती है।
राज्यसभा अपने सदस्यों के व्यवहार तथा गतिविधियों की जाँच के लिए समिति गठित कर सकती है तथा उनके विरुद्ध उचित कार्यवाही कर सकती है।
राज्यसभा , लोकसभा के साथ मिलकर विशेष न्यायालयों की स्थापना करती है।
राज्यसभा अपने विशेषाधिकारों का उल्ल्घंन तथा मानहानि करने वाले व्यक्ति अथवा संस्था को दण्ड दे सकती है।
निर्वाचन संबन्धी शक्तियाँ -- राज्यसभा राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्र्रपति के चुनाव में लोकसभा के साथ भाग लेती है। इसके अतिरिक्त राज्यसभा अपने उपसभापति का चुनाव भी करती है।
संविधान संशोधन संबन्धी शक्तियाँ -- संविधान संशोधन विधेयक के विषय में राज्यसभा की शक्तियाँ लोकसभा के समान है। संविधान संशोधन विधेयक संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है तथा यह दोनों सदनों में बहुमत से पास होना आवश्यक है , अगर राज्यसभा इसे पास न करे तो यह समाप्त हो जाता है। संविधान संशोधन विधेयक पर संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है।
आपातकाल संबन्धी शक्तियाँ -- राष्ट्रपति द्वारा की गई आपात उद्घोहणा की स्वीकृति संसद के दोनों सदनों द्वारा होना अनिवार्य है , क्योकि राज्यसभा स्थायी सदन है। अतः लोकसभा के भंग होने की स्थिति में राज्यसभा द्वारा ही इसे स्वीकृति प्रदान की जाती है।
राज्यसभा की विशेष शक्तियाँ --
अनुच्छेद - 249 के अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि राज्यसभा राज्य - सूची के किसी विषय को राष्ट्रिय महत्व का घोषित करके संसद को इस पर कानून बनाने का अधिकार प्रदान कर सकती है।
अनुच्छेद - 312 के अन्तर्गत राज्यसभा संसद को केन्द्र एवं राज्य दोनों के लिए नई अखिल भारतीय सेवा के सृजन हेतु अधिकृत कर सकती है।
उपराष्ट्रपती को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में ही आरम्भ किया जा सकता है।
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