1857 के स्वतंत्रता संग्राम का परिणाम --
1857 का स्वतंत्रता संग्राम हालाँकि असफल रहा , लेकिन इस आन्दोलन ने भारत की दिशा बदल दी।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन का अन्त -- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश संसद ने भारत से ईस्ट इण्डिया कम्पनी का शासन समाप्त कर दिया। 1 नवंबर 1857 को महारानी विक्टोरिया की घोषणा के आधार पर भारतीय शासन की बागडोर सीधे इग्लैण्ड सरकार हाथों में आ गई अर्थात भारतीय शासन पर ब्रिटिश की संसद का नियंत्रण स्थापित हो गया।
गवर्नर जनरल के पद की समाप्ति -- भारतीय शासन पर ब्रिटिश संसद सर्वोच्चता स्थापति होने से भारत में गवर्नर जनरल के पद का अन्त कर दिया गया। अब गवर्नर जनरल के स्थान पर वायसराय का पद बनाया गया। .अन्तिम गवर्नर जनरल लॉर्ड केनिंग को ही भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया , साथ ही बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भंग करके उनके स्थान पर भारत मंत्री का पद सृजित किया गया।
मुगल साम्राज्य और पेशवा के पद का अन्त -- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश अधिकारीयों अन्तिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर बन्दी बनाकर रंगून भेज दिया था। वहीं बहादुरशाह जफर की मृत्यु हो गई।
इस प्रकार भारत में मुगल साम्राज्य का अन्त हो गया। विद्रोह के दौरान अन्तिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब भी नेपाल गए हुए थे और फिर वह वापस नहीं आए। इस प्रकार स्वयं ही पेशवा का पद भी समाप्त हो गया।
गोद प्रथा की पुनर्प्राप्ति -- डलहौजी की राज्य हड़प नीति के अन्तर्गत समाप्त किया गया गोद लेने के देशी राज्यों के अधिकार को पुनः प्रदान किया गया।
भारतीयों में राष्ट्र्रीयता का विकास -- इस विद्रोह के दमन से भारतीय यह भली - भाँति जान गए की ब्रिटिश अधिकारी केवल अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति में लगे हैं। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही ब्रिटिश अधिकारी भारतियों का शोषण कर रहे हैं।
अतः भारतियों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। अब भारतीय क्षेत्रीयता के मुद्दे से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में सोचने लगे।
शासन के स्वरूप में परिवर्तन -- भारतीय शासन पर ब्रिटिश संसद का प्रभाव स्थापित होने से वैधानिक शासन का विकास शुरू हुआ। अब भारतीय शासन - प्रणाली के संचालन के लिए ब्रिटेन की संसद नियम बनाने लगी। वैधानिक शासन विकास के कारण ही भारत में लोकतंत्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।
राष्ट्रिय जागरण के युग की शुरुआत -- इस स्वाधिमता संघर्ष ने भारतीय जनता को जाग्रत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , जिसके फल्श्वरूप देश में राष्ट्र्रीय जागरण के युग का आरम्भ हुआ।
कांग्रेस की स्थापना -- 1857 के स्वाधीनता संघर्ष के पश्चात शिक्षित भारतियों द्वारा अधिकारों की प्राप्ति हेतु एक अखिल भारतीय संगठन की आवश्यकता महसूस हुई , जिसके फल्श्वरूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नामक एक अखिल भारतीय पार्टी की स्थापना की गई , जिसके नेतृत्व में ही आगे चलकर भारतीयों को स्वतन्तत्रता प्राप्त हुई।
अंग्रेजों द्वारा फुट डालो और राज करो की नीति -- 1857 के स्वाधीनता संघर्ष के पश्चात अंग्रेजों द्वारा एक नवीन नीति का अनुसरण किया गया , जिसके अन्तर्गत एक सम्प्रदाय को दूसरे सम्प्रदाय के विरुद्ध भड़काया गया तथा उन्हें अपने पक्ष में करने का प्रयास किया गया।
आर्थिक शोषण में वृद्धि -- 1857 के पश्चात अंग्रेजों ने नए - नए स्रोतों से धन वसूली शुरू किया , जिस कारण भारतीयों का आर्थिक शोषण बढ़ गया।
अंग्रेज सैनिकों की संख्या में वृद्धि -- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत ब्रिटिश सेना में तैनात अंग्रेज सेनिकों की संख्या में बढ़ोतरी की गई।
1857 की क्रान्ति का स्वरूप -- 1857 की क्रान्ति , भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है , किन्तु इसके स्वरूप के बारे में मतभेद हैं अंग्रेज विद्वानों के अनुसार यह एक सैनिक क्रान्ति थी , जबकि भारतीय विद्वानों के अनुसार यह भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम था परन्तु विभिन्न इतिहासकारों व् विद्वानों की सहमति से यह निष्कर्ष निकला की 1857 की क्रान्ति वास्तव में प्रथम भारतीयय स्वतंत्रता संग्राम था।
1 इस क्रान्ति का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों को भारत से बाहर निकलना था।
2 इस क्रान्ति में हिन्दू मुसलमान दोनों ने ही मिलकर कार्य किया था।
1857 का स्वतंत्रता संग्राम हालाँकि असफल रहा , लेकिन इस आन्दोलन ने भारत की दिशा बदल दी।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन का अन्त -- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश संसद ने भारत से ईस्ट इण्डिया कम्पनी का शासन समाप्त कर दिया। 1 नवंबर 1857 को महारानी विक्टोरिया की घोषणा के आधार पर भारतीय शासन की बागडोर सीधे इग्लैण्ड सरकार हाथों में आ गई अर्थात भारतीय शासन पर ब्रिटिश की संसद का नियंत्रण स्थापित हो गया।
गवर्नर जनरल के पद की समाप्ति -- भारतीय शासन पर ब्रिटिश संसद सर्वोच्चता स्थापति होने से भारत में गवर्नर जनरल के पद का अन्त कर दिया गया। अब गवर्नर जनरल के स्थान पर वायसराय का पद बनाया गया। .अन्तिम गवर्नर जनरल लॉर्ड केनिंग को ही भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया , साथ ही बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भंग करके उनके स्थान पर भारत मंत्री का पद सृजित किया गया।
मुगल साम्राज्य और पेशवा के पद का अन्त -- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश अधिकारीयों अन्तिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर बन्दी बनाकर रंगून भेज दिया था। वहीं बहादुरशाह जफर की मृत्यु हो गई।
इस प्रकार भारत में मुगल साम्राज्य का अन्त हो गया। विद्रोह के दौरान अन्तिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब भी नेपाल गए हुए थे और फिर वह वापस नहीं आए। इस प्रकार स्वयं ही पेशवा का पद भी समाप्त हो गया।
गोद प्रथा की पुनर्प्राप्ति -- डलहौजी की राज्य हड़प नीति के अन्तर्गत समाप्त किया गया गोद लेने के देशी राज्यों के अधिकार को पुनः प्रदान किया गया।
भारतीयों में राष्ट्र्रीयता का विकास -- इस विद्रोह के दमन से भारतीय यह भली - भाँति जान गए की ब्रिटिश अधिकारी केवल अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति में लगे हैं। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही ब्रिटिश अधिकारी भारतियों का शोषण कर रहे हैं।
अतः भारतियों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। अब भारतीय क्षेत्रीयता के मुद्दे से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में सोचने लगे।
शासन के स्वरूप में परिवर्तन -- भारतीय शासन पर ब्रिटिश संसद का प्रभाव स्थापित होने से वैधानिक शासन का विकास शुरू हुआ। अब भारतीय शासन - प्रणाली के संचालन के लिए ब्रिटेन की संसद नियम बनाने लगी। वैधानिक शासन विकास के कारण ही भारत में लोकतंत्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।
राष्ट्रिय जागरण के युग की शुरुआत -- इस स्वाधिमता संघर्ष ने भारतीय जनता को जाग्रत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , जिसके फल्श्वरूप देश में राष्ट्र्रीय जागरण के युग का आरम्भ हुआ।
कांग्रेस की स्थापना -- 1857 के स्वाधीनता संघर्ष के पश्चात शिक्षित भारतियों द्वारा अधिकारों की प्राप्ति हेतु एक अखिल भारतीय संगठन की आवश्यकता महसूस हुई , जिसके फल्श्वरूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नामक एक अखिल भारतीय पार्टी की स्थापना की गई , जिसके नेतृत्व में ही आगे चलकर भारतीयों को स्वतन्तत्रता प्राप्त हुई।
अंग्रेजों द्वारा फुट डालो और राज करो की नीति -- 1857 के स्वाधीनता संघर्ष के पश्चात अंग्रेजों द्वारा एक नवीन नीति का अनुसरण किया गया , जिसके अन्तर्गत एक सम्प्रदाय को दूसरे सम्प्रदाय के विरुद्ध भड़काया गया तथा उन्हें अपने पक्ष में करने का प्रयास किया गया।
आर्थिक शोषण में वृद्धि -- 1857 के पश्चात अंग्रेजों ने नए - नए स्रोतों से धन वसूली शुरू किया , जिस कारण भारतीयों का आर्थिक शोषण बढ़ गया।
अंग्रेज सैनिकों की संख्या में वृद्धि -- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत ब्रिटिश सेना में तैनात अंग्रेज सेनिकों की संख्या में बढ़ोतरी की गई।
1857 की क्रान्ति का स्वरूप -- 1857 की क्रान्ति , भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है , किन्तु इसके स्वरूप के बारे में मतभेद हैं अंग्रेज विद्वानों के अनुसार यह एक सैनिक क्रान्ति थी , जबकि भारतीय विद्वानों के अनुसार यह भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम था परन्तु विभिन्न इतिहासकारों व् विद्वानों की सहमति से यह निष्कर्ष निकला की 1857 की क्रान्ति वास्तव में प्रथम भारतीयय स्वतंत्रता संग्राम था।
1 इस क्रान्ति का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों को भारत से बाहर निकलना था।
2 इस क्रान्ति में हिन्दू मुसलमान दोनों ने ही मिलकर कार्य किया था।
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