द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम --

द्वितीय विश्वयुद्ध 6 वर्ष तक चलता रहा था। यह क्रूर और भयानक युद्ध था तथा अपनी व्यापकता व् प्रभाव में अत्यधिक विनाशकारी था। .विभिन्न क्षेत्रों में इसके परिणाम देखे जा सकते थे।

भयंकर विनाश एवं नरसंहार -- द्वितीय विश्वयुद्ध में विश्व  लगभग 70 देशों की थल , वायु एवं जल सेनाएँ शामिल थीं। इस युद्ध में लगभग 5 करोड़ से भी अधिक लोग मारे गए। करोड़ों लोग घायल व् बेघर हो गए थे। युद्ध में सर्वाधिक हानि जर्मनी एवं रूस को उठानी पड़ी। फ्रांस बेल्जियम , हालेण्ड आदि राष्ट्र्रों में असंख्य लोग भूख से तड़प - तड़प कर मर गए थे।

आर्थिक संकट -- यूरोप के राष्ट्रों द्वारा अपने साधनों का प्रयोग वृहत पैमाने पर युद्ध में किया गया। युद्ध के पश्चात अनेक देशों में कीमतों में वृद्धि हो गई , जिससे चोरबाजारी तथा मुनाफाखोरी बढ़ी और बेरोजगारी पनपने लगी।

जर्मनी का विभाजन -- द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय के कारण मित्र राष्ट्रों के द्वारा उसे दो भागों में विभाजित कर दिया गया - पूर्वी जर्मनी एवं पश्चिमी जर्मनी। पूर्वी जर्मनी पर रूस ने अधिकार कर लिया , जबकि पश्चिमी जर्मनी पर अमेरिका ,फ्रांस व् इग्लैण्ड का प्रभुत्व रहा।

संयुक्त राष्ट्रों संघ की स्थापना -- द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद भविष्य में युद्धों को रोकने के उद्देश्य से विभिन्न राष्ट्र्रों द्वारा 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ United Nations Organisation नामक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना की गई। महासभा और सुरक्षा परिषद इसके दो महत्वपूर्ण अंग है।

प्रजातंत्र एवं साम्यवाद का प्रसार -- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अनेक देशों में प्रजातंत्र एवं साम्यवाद का प्रसार होने लगा। इटली में फासीवाद का अन्त हो गया। वहाँ पर प्रजातंत्र की स्थापना हुई , साथ ही हंगरी , रूमानिया , पोलैण्ड , बुल्गारिया , फिनलैण्ड , युगोस्लाविया , चेकोस्लोवाकिया तथा पूर्वी जर्मनी में रूस के प्रभाव के कारण साम्यवाद की स्थापना हुई।

अस्त्र - शस्त्र निर्माण की होड़ -- द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामस्वरूप परमाणु अस्त्र - शस्त्र के निर्माण की एक नई प्रतिस्पर्द्धा का प्रारम्भ हुआ। अमेरिका , रूस , फ्रांस , इग्लैण्ड आदि राष्ट्र्र अपनी सुरक्षा को मजबूत करने हेतु विनाशकारी अस्त्र - शस्त्रों का निर्माण करने लगे। इस प्रतिस्पर्द्धा ने पुरे विश्व में तनाव उतपन्न कर दिया , जिसके कारण विश्व शीतयुद्ध की चपेट में आ गया।

साम्राजयवाद में निरन्तर कमी -- द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात अनेक देशों को साम्राजयवाद से छुटकारा मिल गया। ब्रिटेन , फ्रांस , हालेण्ड , पुर्तगाल , इटली , बेल्जियम आदि देशों ने एशिया तथा अफ्रीका में अनेक उपनिवेश स्थापित कर रखे थे।

इस युद्ध के बाद गुलाम देशों में राष्ट्रीयता तथा देशभक्ति की भावनाओं का विकास हुआ , जिससे वहाँ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष व् आन्दोलन शुरू हो गया। भारत , श्रीलंका , बर्मा , सूडान , इण्डोनेशिया आदि देश इसके उदाहरण है।

विश्व का दो गुटों में विभाजन -- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व के राष्ट्र दो गुटों में बंट गए - पूँजीवादी और साम्यवादी। पूंजीवादी देशों का नेतृत्व अमेरिका तथा साम्यवादी देशों का नेतृत्व रूस के द्वारा किया जा रहा था।

ये दोनों देश उस समय महाशक्ति देश के रूप में जाने जाते थे। अमेरिका ने रूस की बढ़ती हुई शक्तियों से निपटने के लिए नाटो , सीटो तथा सेण्ट नामक सैनिक गुटबन्दियों का निर्माण किया। इन दोनों गुटों के बीच ही सहित युद्ध प्रारम्भ हो गया।















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