भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना -- 

18 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत में मुगल साम्राज्य की शक्ति क्षीण होनी शुरू हो गई थी। उस समय बंगाल आर्थिक रूप से सम्पन्न साम्राज्य था। मुगल साम्राज्य में अर्थव्यवस्था का लाभ उठाकर 1740 में बिहार के नबाब सूबेदार अलिवदों खाँ ने स्वयं को बिहार , बंगाल और उड़ीसा का स्वतंत्र नवाव घोषित कर दिया।

अप्रैल 1756 में आलिवदी खाँ की मौत के बाद उसका दोहित्र सिराजुद्दोला गद्दी पर बैठा। उधर , अंग्रेज भी बंगाल में अपनी शक्ति बढ़ाने  प्रयास कर रहे थे। अंग्रेजों और सिराजुद्दोला की शत्रुता  परिणामश्वरूप  प्लासी का युद्ध हुआ। इस युद्ध ने ही भारत में अंग्रेजी साम्राज्य  स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।

प्लासी का युद्ध -- 23 जून 1757 में अंग्रेजों को सबक सिखाने के उद्देश्य से सिराजुद्दोला की सेना ने 4 जून 1756 को कासिम बाजार और 16 जून 1756 को कोलकता की कोठी पर अधिकार कर लिया। 20 जून 1756 को फोर्ट विलियम और कलकत्ता भी नबाव के कब्जे में आ गया। कलकत्ता की जिम्मेदारी मणिकचंद्र के हाथों में सौंपकर नवाब सिराजुद्दोला अपनी राजधानी मुशिर्दाबाद लौट गया।

कलकत्ता पर पुनः कब्जे के लिए लॉर्ड क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजों ने सेना भेजी। मानिकचंद्र के विश्वासघात के कारण कलकत्ता नवाब के हाथ से निकल गया। आख़िरकार 9 फरवरी 1757 को नवाब सिराजुद्दोला और अंग्रेजों के मध्य सन्धि हुई। इस बीच क्लाइव ने नवाब के सेनापति एवं फूफा मीर जाफर के साथ मिलकर सिराजुद्दोला के खिलाफ षड़यंत्र रचा। 23 जून 1757 को प्लासी के मैदान में सिराजुद्दोला और अंग्रेजों की सेना आमने - सामने थी।

षड़यंत्र के अनुसार मीर जाफर और दुर्लभ के नेतृत्व में अधिकांश सेना ने नवाब का साथ नहीं दिया। नबाव युद्ध के मैदान से भाग निकला , लेकिन मुहम्मद बेग ने नबाव सिराजुद्दोला को मार डाला। षड़यंत्र की शर्त के तहत क्लाइव ने मीर जाफर को बंगाल , बिहार और उड़ीसा के नवाब की पदवी सौंप दी।  कुछ समय बाद ही अंग्रेजों और मीर जाफर के संबन्धों में खटास आ गई। इस पर अंग्रेजों ने मीर जाफर को नवाब के पद से हटाकर उसके पुत्र मीर कासिम को नवाब बना दिया।

बक्सर का युद्ध 1764 -- मीर कासिम और अंग्रेजों के संबन्ध भी अधिक दिन तक मधुर नहीं रह सके। मीर कासिम ने अंग्रेज व्यापारियों की तरह ही भारतीय व्यापारियों को भी व्यापार कर छूट दी। उसकी कुछ नीतियाँ भी अंग्रेजों को रास नहीं आई। मीर कासिम ने अवध के नवाब शुआउद्दौला और मुगल सम्राट शाहआलम से सन्धि कर ली।

23 अक्टूबर 1764 को बक्सर में अंग्रेज और संयुक्त सेना आमने - सामने थी। संयुक्त सेना में मीर कासिम , शुजाउदौला और शाहआलम की सेनाएँ शामिल थीं। इस युद्ध का फैसला भी अंग्रेजों के हक में रहा। मीर कासिम भाग गया और 1777 में दिल्ली में उसकी मौत हो गई। 3 मई 1765 को शुजाउद्दौला और शाहआलम को कड़ा के युद्ध में आत्मसमर्पण करना पड़ा।

प्लासी एवं बक्सर युद्ध के परिणाम -- प्लासी के युद्ध में ब्रिटिश कम्पनी ने बंगाल में अपनी सर्वोच्चता सिद्ध कर दी तथा बंगाल के नवाबों को अपने नियंत्रण में कर उनसे बहुत सा धन वसूला। प्लासी की विजय से उत्साहित होकर अंग्रेजों द्वारा बक्सर के युद्ध में अवध के नवाब , मुगल सम्राट तथा बंगाल के नवाब की संयुक्त सेना को पराजित किया जाता है की जहाँ प्लासी की विजय अंग्रेजों की कूटनीति का परिणाम थी वहीं बक्सर की विजय को इतिहासकारों न्र पूर्णतः सैनिक विजय बताया। बक्सर के युद्ध के पश्चात अंग्रेजों का भारत पर प्रभुत्व स्थापित हुआ।

इलाहाबाद की सन्धि -- 1765 में हुई इलाहाबाद की सन्धि के तहत मुगल सम्राट शाहआलम ने बंगाल बिहार और उड़ीसा की दीवानी अंग्रेजों  को सौंप दिया। बदले में अंग्रेजों ने मुगल सम्राट को 26 लाख वार्षिक पेन्शन देना स्वीकार किया। साथ ही अंग्रेजों ने कड़ा और इलाहाबाद के किले भी अवध के नवाब से लेकर शाहआलम को दे दिए।

ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का सीमा विस्तार -- लार्ड क्लाइव पहली बार 1757 और दूसरी बार 1765 में बंगाल का गवर्नर जनरल बनकर भारत आया। अपने दूसरे शासनकाल में उसने बंगाल में द्वैध शासन प्रणाली लागू की। इसके तहत राजस्व वसूलने का कार्य कम्पनी के पास रहा , जबकि शासन व्यवस्था का दायित्व नवाब को दिया गया। इस व्यवस्था से बंगाल , बिहार और उड़ीसा की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई। 1772 से 1785 तक वारेन हास्टिंग बंगाल का गवर्नर रहा। उसने व्यापार , न्याय , पुलिस , राजस्व और भूमि व्यवसाय में काफी सुधार किए , इसलिए हेस्टिंग्स का काल सुधारों का काल कहलाता है परिणामस्वरूप ईस्ट इण्डिया कम्पनी के राजनितिक प्रभाव में बढ़ोत्तरी हुई।

वारेन हेस्टिंग्स के उत्तराधिकारियों ने भी कम्पनी के साम्राज्य विस्तार का ही अनुकरण किया। लार्ड वेलेजली 1798 - 1805 , लार्ड हेस्टिंग्स 1813 - 23 , लार्ड डलहौजी 1848 - 56 आदि ने कई भारतीय राज्यों में ब्रिटिश प्रभुत्व स्थापित किया। 1857 में भारत के लगभग 63 % भू भाग और 67 % आबादी पर कम्पनी का शासन था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी के भारत विरोधी कार्यों के कारण जन आक्रोश बढ़ाया गया , जिसने 1857 के विद्रोह को जन्म दिया







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