मुस्लिम सुधार आन्दोलन --
19 वीं शताब्दी तक मुस्लिम समाज और इस्लाम धर्म में भी सामाजिक बुराइयों का समावेश हो गया था। हिन्दू आन्दोलन की प्रतिक्रियास्वरूप मुस्लिम समान भी नवजागरण आन्दोलन से अछूता नहीं रहा।
वहाबी आन्दोलन -- भारत का वहाबी आन्दोलन अरब के वहाबी आन्दोलन से प्रभावित था। इस आन्दोलन की शुरुआत अरब में मुहम्मद अब्दुल वहाब ने की थी। भारत में इस आन्दोलन का पचार - प्रसार सैयद अहमद बरेलवी 1786 - 1831 में किया था। इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य अपने धर्म का प्रचार करना और मुस्लिम समाज की कुरीतियों को दूर करना था। सैयद अहमद बरेलवी ने जनसाधारण के सरलता से समझने योग्य बनाने के लिए कुरान को उर्दू भाषा में अनुवादित कराया।
अलीगढ़ आन्दोलन -- मुस्लिम सुधार आन्दोलन में अलीगढ़ आन्दोलन का महत्वपूर्ण स्थान है। इस आन्दोलन के प्रवर्तक सर सैयद अहमद खाँ 1817 - 1893 थे। इन्होंने अंग्रेजी शिक्षा का समर्थन किया। वह सरकार और मुसलमान के बीच दूरी को समाप्त करना चाहते थे।
उन्होंने 1875 अलीगढ़ मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज स्थापना की। 1920 में यह कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिवर्तित हो गया। सर सैयद अहमद खाँ ने मुस्लिम समाज को मानवतावादी स्वरूप देने का प्रयतन किया।
उन्होंने हिन्दू - मुस्लिम एकता की वकालत की तथा मुसलमानों में व्याप्त बहु - विवाह प्रथा , पर्दा प्रथा और तलाक की आसान विधि का विरोध किया। वह नारी शिक्षा के समर्थक थे। अलीगढ़ सुधार आन्दोलन के अन्य प्रमुख नेताओं में चिराग अली , अल्ताफ हुसैन , नजीर अहमद , मौलाना शिवली नोगानी आदि शामिल थे।
देवबन्द आन्दोलन -- इस आन्दोलन का संचालन मुहम्मद कासिम ननोतवी और रशीद अहमद गंगोही ने 1866 में किया था। देवबन्द आन्दोलन के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार हैं।
1 विद्यालय के पाठ्यक्रमों में अंग्रेजी शिक्षा और पश्चिमी संस्कृति को प्रतिबन्धित किया जाए।
2 मुस्लिम सम्प्रदाय का नैतिक पुनरुद्धार किया जाए।
3 मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए धार्मिक नेता तैयार किए जाएँ।
उलेमाओं ने देवबन्द आन्दोलन के अन्तर्गत 1866 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के पास देवबन्द में अन्तर्राष्ट्रीय दारुल उलूम नामक संस्था की स्थापना की। यह संस्था विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी के लीए शिक्षित न करके उन्हें इस्लाम धर्म के प्रभाव को फैलाने के लिए शिक्षा देती थी। राजनितिक क्षेत्र में इस संस्था ने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का समर्थक किया।
अहमदिया आन्दोलन -- इस आन्दोलन का प्रारम्भ 1889 में पंजाब के गुरूदसपुर जिले के कादिया स्थान पर मिर्जा गुलाम अहमद ने किया था। मिर्जा गुलाम अहमद के नाम पर ही इस आन्दोलन का नाम अहमदिया आन्दोलन पड़ा। इस आन्दोलन के नेताओं का पमुख उद्देश्य मुसलमानों में इस्लाम के सच्चे स्वरूप को बहाल करना और मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिकी तथा तकनीकी प्रगति को मान्यता देना था। आन्दोलन के तहत देश कई स्थानों पर स्कूल और कॉलेज खोले गए , जिससे मुस्लिमों में राष्ट्रिय चेतना उतपन्न हुई।
19 वीं शताब्दी तक मुस्लिम समाज और इस्लाम धर्म में भी सामाजिक बुराइयों का समावेश हो गया था। हिन्दू आन्दोलन की प्रतिक्रियास्वरूप मुस्लिम समान भी नवजागरण आन्दोलन से अछूता नहीं रहा।
वहाबी आन्दोलन -- भारत का वहाबी आन्दोलन अरब के वहाबी आन्दोलन से प्रभावित था। इस आन्दोलन की शुरुआत अरब में मुहम्मद अब्दुल वहाब ने की थी। भारत में इस आन्दोलन का पचार - प्रसार सैयद अहमद बरेलवी 1786 - 1831 में किया था। इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य अपने धर्म का प्रचार करना और मुस्लिम समाज की कुरीतियों को दूर करना था। सैयद अहमद बरेलवी ने जनसाधारण के सरलता से समझने योग्य बनाने के लिए कुरान को उर्दू भाषा में अनुवादित कराया।
अलीगढ़ आन्दोलन -- मुस्लिम सुधार आन्दोलन में अलीगढ़ आन्दोलन का महत्वपूर्ण स्थान है। इस आन्दोलन के प्रवर्तक सर सैयद अहमद खाँ 1817 - 1893 थे। इन्होंने अंग्रेजी शिक्षा का समर्थन किया। वह सरकार और मुसलमान के बीच दूरी को समाप्त करना चाहते थे।
उन्होंने 1875 अलीगढ़ मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज स्थापना की। 1920 में यह कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिवर्तित हो गया। सर सैयद अहमद खाँ ने मुस्लिम समाज को मानवतावादी स्वरूप देने का प्रयतन किया।
उन्होंने हिन्दू - मुस्लिम एकता की वकालत की तथा मुसलमानों में व्याप्त बहु - विवाह प्रथा , पर्दा प्रथा और तलाक की आसान विधि का विरोध किया। वह नारी शिक्षा के समर्थक थे। अलीगढ़ सुधार आन्दोलन के अन्य प्रमुख नेताओं में चिराग अली , अल्ताफ हुसैन , नजीर अहमद , मौलाना शिवली नोगानी आदि शामिल थे।
देवबन्द आन्दोलन -- इस आन्दोलन का संचालन मुहम्मद कासिम ननोतवी और रशीद अहमद गंगोही ने 1866 में किया था। देवबन्द आन्दोलन के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार हैं।
1 विद्यालय के पाठ्यक्रमों में अंग्रेजी शिक्षा और पश्चिमी संस्कृति को प्रतिबन्धित किया जाए।
2 मुस्लिम सम्प्रदाय का नैतिक पुनरुद्धार किया जाए।
3 मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए धार्मिक नेता तैयार किए जाएँ।
उलेमाओं ने देवबन्द आन्दोलन के अन्तर्गत 1866 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के पास देवबन्द में अन्तर्राष्ट्रीय दारुल उलूम नामक संस्था की स्थापना की। यह संस्था विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी के लीए शिक्षित न करके उन्हें इस्लाम धर्म के प्रभाव को फैलाने के लिए शिक्षा देती थी। राजनितिक क्षेत्र में इस संस्था ने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का समर्थक किया।
अहमदिया आन्दोलन -- इस आन्दोलन का प्रारम्भ 1889 में पंजाब के गुरूदसपुर जिले के कादिया स्थान पर मिर्जा गुलाम अहमद ने किया था। मिर्जा गुलाम अहमद के नाम पर ही इस आन्दोलन का नाम अहमदिया आन्दोलन पड़ा। इस आन्दोलन के नेताओं का पमुख उद्देश्य मुसलमानों में इस्लाम के सच्चे स्वरूप को बहाल करना और मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिकी तथा तकनीकी प्रगति को मान्यता देना था। आन्दोलन के तहत देश कई स्थानों पर स्कूल और कॉलेज खोले गए , जिससे मुस्लिमों में राष्ट्रिय चेतना उतपन्न हुई।
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