कूका या नामधरी आन्दोलन --

19 वीं शताब्दी में पंजाब के कई धार्मिक और सामाजिक आन्दोलन हुए। इस आन्दोलनों के कूका आन्दोलन का स्थान प्रमुख है। कूका आन्दोलन के समर्थकों का प्रमुख सिद्धान्त ईश्वर के नाम का जप करना था , इसलिए इसे नामधारी आन्दोलन भी कहा जा सकता है। इस सम्प्रदाय से जुड़े लोग जोर - जोर से ईश्वर के भजन गेट थे ,इसलिए इन्हें कूके चिल्लाने वाला भी कहा गया। कूका आन्दोलन की स्थापना गुरु बालक सिंह ने की थी , लेकिन वास्तविक संस्थापक और प्रणेता गुरु राम सिंह 1816 - 85 थे।

1838 में गुरु राम सिंह , गुरु बालक सिंह के विचारों से प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए थे। 1857 में राम सिंह ने अपने गाँव में नामधारी आन्दोलन की नींव रखी। गुरु राम सिंह ने सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध प्रचार - प्रसार किया। उन्ही के नेतृत्व में नामधारियों ने पंजाब में सिख राज्य की पुनर्स्थापना का प्रयास किया।

नामधारी आन्दोलन के प्रचार - प्रसार करे लिए गुरु रामसिंह ने देशभर में प्रचार केन्द्र स्थापित किए। पंजाब में ही इन केन्द्रों की संख्या 22 थी। दीप्ती नामक अधिकारी इन प्रचार केन्द्रों की कमान सम्भालता था। 1871 में इस आन्दोलन के समर्थकों ने 10 लाख से अधिक का आँकड़ा पार कर लिया था।

नामधारियों का सिद्धान्त --

1  नामधारी सम्प्रदाय के अनुयायी ईश्वर के नाम का सुमिरन करते थे। इसके लिए वह सदैव अपने आस - पास सूत की माला रखते थे

2  वह सिखों के दस गुरुओं में आस्था रखते थे।

3  नामधरी केवल हाथ से बुने हुए वस्त्र पहनते थे। गुरु राम सिंह ने पगड़ी बांधने की विशेष शैली माथे पर तिरछी के बजाए सीधी का शुभारम्भ किया।

4  इस सम्प्रदाय के समर्थक गौ - हत्या के विरोधी थे।

5  नामधारी मूर्तिपूजा के प्रबल विरोधी थे। वह गुरु ग्रन्थ साहिब को ही पवित्र ग्रन्थ मानते थे।

नामधारी आन्दोलन की उपलब्धीयाँ -- नामधारी आन्दोलन के समर्थकों ने सामाजिक जैसे -

1  धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास किया। इस आन्दोलन के अनुयायियों ने ब्रिटिश सत्ता का विरोध किया।

2  गुरु राम सिंह ने विदेशी वस्तुओं का बहिस्कार कर स्वदेशी वस्तुओं का समर्थन किया। समाज में प्रचलित बाल विबाह , सती प्रथा , दहेज प्रथा , कन्या वध जैसी कुप्रथाओं के विरुद्ध भी गुरु राम सिंह ने आन्दोलन चलाया।

3  नामधारी मूर्ति पूजा औरर कर्मकाण्ड के विरोधी थे। गौ - हत्या के खिलाफ भी इन्होंने आवाज उठाई। नामधारियों ने जातिगत भेदभाव का विरोध और अन्तर्जातीय विवाह का समर्थन किया।

नामधारियों का अंग्रेजों से मुकाबला -- नामधरियों ने गौ - हत्या का विरोध करते हुए 1872 में मलेरकोटला बड़ी संख्या में कसाइयों की हत्या कर दी थी। इस पर अंग्रेजों ने नामधारिओं के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। बड़ी संख्या में नामधारी समर्थक गिरफ्तार हुए। 49 प्रमुख नेताओं को तोप से उड़ा दिया गया। अंग्रेजों ने गुरू राम सिंह को रंगून भेज दिया और वहीं 1885 में उनका निधन हो गया। गुरु रम्म सिंह के बाद ह्री सिंह और प्रताप सिंह ने कूका आन्दोलन को आग्गे बढाया। 

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