द्वितीय विश्वयुद्ध की प्रमुख घटनाएँ --

द्वितीय विश्वयुद्ध वर्ष 1939 से 1945 तक चला। युद्ध के परिप्रेष्य से यह समय बहुत अधिक होता है। इस कल के दौरान अनेक घटनाएँ घटित हुई।

पोलैण्ड , फिनलैण्ड , नार्वे , डेनमार्क , हालेण्ड तथा बेल्जियम पर आक्रमण -- 1 सितंबर 1939 को पोलैण्ड पर हिटलर के आक्रमण द्वारा युद्ध का आरम्भ हुआ। परिणामश्वरूप 3 सितंबर को इग्लैण्ड व् फ्रांस ने जर्मनी से युद्ध की घोषणा की। 28 सितंबर को जर्मनी व् सोवियत रूस ने सन्धि कर पोलैण्ड का बँटवारा कर लिया। पूर्वी पोलैण्ड सोवियत संघ को मिला और पश्चिमी पोलैण्ड जर्मनी को।

सोवियत संघ ने बाल्टिक राज्य एस्टोनिया , लातविया , लिथुआनिया को अधीनस्थ राज्य बना लिया और फिनलैण्ड पर आक्रमण कर मार्च 1940 में उसके महत्वपूर्ण सैनिक अडडे कब्जे में ले लिए। 9 अप्रैल 1940 को हिटलर ने डेनमार्क और नार्वे पर तथा मई 1940 में लक्जेमबर्ग , हालेण्ड और बेल्जियम पर कब्जा कर लिया।

जर्मनी को फ्रांस पर विजय -- 27 मई को बेल्जियम के आत्मसमर्पण के पश्चात हिटलर ने 3 जून 1940 को फ्रांस पर भी आक्रमण कर दिया। हिटलर ने फ्रांस के समस्त प्रयासों को असफल करते हुए फ्रांस पर तीनों तरफ से आमियाँ , पेरिस तथा सोम्मासी पर बमवर्षा शुरू कर दी। फ्रांस को हारता देख मुसोलिनी के नेतृत्व में इटली ने भी 11 जून 1940 को फ्रांस पर आक्रमण किया।

फ्रांस की सेना ने इटली को पराजित कर दिया , पर जर्मनी का सामना वे नहीं कर पाए। इस प्रकार 19 जून 1940 को जर्मनी के सामने फ्रांस को आत्मसमर्पण करना पड़ा।

जर्मनी का इंग्लैण्ड पर आक्रमण -- फ्रांस के समर्पण के बाद हिटलर ने सोचा था कि इग्लैण्ड शान्ति की प्रार्थना करेगा , पर ऐसा न हुआ। जर्मनी के बमवर्षक जहाज जून माह से लगातार 5 माह तक इग्लैण्ड पर बमवर्षा करते रहे , परन्तु उसे झुका नहीं सके। इस दौरान इग्लैण्ड के लड़ाकू वायुयानों ने जर्मनी के 2,300 से भी अधिक वायुयान मार गिराए। इससे जर्मनी को आक्रमणों का वेग रोकना पड़ा। इस प्रकार हिटलर इग्लैण्ड को पराजित करने में सफल नहीं हो पाया।

युगोस्लाविया और ग्रीस का पतन --  इग्लैण्ड को हराने में नाकाम होने के बाद हिटलर ने ईरान तथा मिस्र पर आक्रमण करने का निश्चय किया , इसके बाद इटली की सेनाओं ने 28 अक्टूबर 1940 को ग्रीस पर आक्रमण कर दिया , लेकिन अंग्रेजी सेनाएँ उस समय तक ग्रीस की सहायता के लिए आ गई थीं। उन्होंने इटली को बुरी तरह परास्त किया।

10 मार्च 1941 को युगोस्लाविया की सरकार को जर्मन सेना द्वारा अल्टीमेट्स दिया गया। देशभक्त जनता ने जर्मन सेना का डटकर मुकाबला किया , लेकिन जीत नहीं पाए। जर्मन सेनाओं ने अप्रैल 1941 को ग्रीस पर आक्रमण करके मई 1941 में जर्मनी ने ग्रीस पर भी अधिकार कर लिया।

जर्मनी का सीरिया , इराक एवं ईरान पर आक्रमण -- इग्लैण्ड के पूर्व की ओर बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए जर्मनी ने सीरिया , इराक और ईरान पर आक्रमण करने का निश्चय किया। इग्लैण्ड और फ्रांस की सेनाओं के परस्पर मिलने से पूर्व ही जून 1941 में जर्मन सेनाओं ने सीरिया पर अधिकार करने का प्रयास किया , लेकिन वे असफल रहे। इराक पर भी अंग्रेजों ने अधिकार करके जर्मनी का पूर्व की ओर बढ़ने का मार्ग अवरुद्ध कर दिया। इन तीन देशों पर जर्मनी अधिकार करने में असफल रहा तथा इन पर इग्लैण्ड का कब्जा हो गया।

जरम्ननि का रूस पर आक्रमण -- हिटलर साम्यवाद को सबसे बड़ा शत्रु समझता था और आरम्भ से ही पूर्व की ओर विस्तार उसकी नीति का एक घोषित महत्वपूर्ण कार्यक्रम था। अपनी आरम्भिक सफलता में उसने यूक्रेन पर अधिकार कर लिया और एस्टोनिया , लातविया , लिथुआनिया , फिनलैण्ड , पूर्वी पोलैण्ड पर कब्जा करते हुए लेनिनग्राद पर घेरा डाला व् अक्टूबर 1941 में मॉस्को को घेरा , पर न लेनिनग्रास और न मॉस्को उसके कब्जे में आया। दिसंबर 1941 में ठण्ड के कारण और सोवियत संघ के कड़े प्रतिरोध के कारण जर्मन सेना वापस लौट गई। सोवियत संघ मित्र राष्ट्रों के साथ मिल गया।

























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