कृषि - AGRICULTURE

कृषि --

                 मानव जीवन में कृषि सबसे प्राचीन व्यवसाय है। मानव जीवन की सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कृषि अथवा उसकी सहायक गतिविधियों द्वारा ही होती है। कृषि अंग्रेजी के शब्द AGRICULTURE का हिन्दी रूपान्तरण है , जो लैटिन भाषा के दो शब्दों AGRI AND CULTURE से मिलकर बना है , जिसका अर्थ है भूमि पर खेती करना। विस्तृत अर्थ में इसके अन्तर्गत फसलों के उत्पादन के साथ - साथ पशुपालन भी शामिल किया जाता है। भारत में कृषि अधिकांश जनसंख्या की आजीविका के स्रोत के साथ - साथ ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका की प्रमुख साधन है। इसके अन्तर्गत दो क्रियाओं को सम्मलित किया जाता है। 

प्राथमिक क्रियाएँ -- इसके अन्तर्गत खाद्य फसलों तथा व्यापारिक फसलों को शामिल किया जाता है -खाद्य फसलों में दाल , अनाज , सब्जियाँ तथा व्यापारिक फसलों में कपास , तिलहन , पटसन , गन्ना आदि फसलें शामिल की जाती हैं। 

गौण क्रियाएँ -- इसके अन्तर्गत मुर्गीपालन , डेयरी फार्मिंग , बागान - फसलें आदि से संबन्धित क्रियाएँ आती हैं। 

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान व् महत्व --

            भारत में कृषि का महत्व न केवल खाद्य उपलब्धता तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में हस , अपितु रोजगार के अवसर सृजन करने , विदेशी व्यापर को बढ़ावा देने , उद्योग को कच्चे माल की आपूर्ति करने तथा आर्थिक विकास को गति प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण है। भारतीय कृषि के महत्व को शीर्षकों के अन्तर्गत व्यक्त किया जा सकता है। 

     खाद्य पदार्थों एवं चारे की पूर्ति -- कृषि के द्वारा ही देश की खाद्य आपूर्ति  जाती है। कृषि देश की लगभग 121 करोड़ जनसंख्या  खाद्यान्न तथा कई करोड़ पालतू पशुओं को चारा प्रदान करती है।  इतनी विशाल जनसंख्या के लिए खाद्य जुटाने में देश की अधिकांश भूमि पर कृषि करना आवश्यक है , जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। 

     रोजगार सृजन -- भारत में अधिकांश जनसंख्या कृषि कार्य में ही संलगन है। कृषि यहाँ के लोगों के रोजगार का महत्वपूर्ण साधन है। वर्तमान समय में देश की 58.2% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। 

    उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति -- घी , तेल ,वनस्पति , चाय , काँफी , रबड़ आदि उद्योग पूर्ण रूप से कच्चे माल का लिए कृषि पर निर्भर होते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के लघु एवं कुटीर उद्योग भी कच्चे माल के लिए कृषि पर ही निर्भर रहते हैं , जैसे - आटा , दाल , चावल संबन्धी उद्योग।  अतः कृषि उद्योग के विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 

    विदेशी व्यापार अथवा कृषि निर्यात -- विदेशों को निर्यात किए जाने वाले अनेक पदार्थों का उत्पादन कृषि से ही होता है , जैसे - चाय , काँफी , पटसन आदि। भारत इन वस्तुओं का विदेशों को बड़ी मात्रा में निर्यात करता है , जिससे इन वस्तुओं का व्यपार भारत के पक्ष में रहा है। 

   आंतरिक व्यापार -- देश में कृषि से उत्पादित वस्तुओं का बड़े पैमाने पर व्यापार किया जाता है और देश की अधिकांश जनसंख्या इस व्यापार में संलगन है। 

   राजस्व लाभ -- कृषि से उत्पादित वस्तुओं पर केन्द्र तथा राज्य सरकार क्र लगाकर राजस्व के रूप में आय का बड़ा भाग प्राप्त करती है। 

  परिवहन तंत्र का विकास -- कृषि से उत्पादित वस्तुओं को देश के दूसरे भागों तथा विदेशों को निर्यात किया जाता है , जिसके लिए परिवहन के साधनों ट्रक , रेलगाड़ी आदि की आवश्यलता होती है। अतः कृषि के द्वारा परिवहन साधनों को भी आय प्राप्त होती है। 
  

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