Posts

Showing posts from July, 2019

कृषि - AGRICULTURE

कृषि --                  मानव जीवन में कृषि सबसे प्राचीन व्यवसाय है। मानव जीवन की सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कृषि अथवा उसकी सहायक गतिविधियों द्वारा ही होती है। कृषि अंग्रेजी के शब्द AGRICULTURE का हिन्दी रूपान्तरण है , जो लैटिन भाषा के दो शब्दों AGRI AND CULTURE से मिलकर बना है , जिसका अर्थ है भूमि पर खेती करना। विस्तृत अर्थ में इसके अन्तर्गत फसलों के उत्पादन के साथ - साथ पशुपालन भी शामिल किया जाता है। भारत में कृषि अधिकांश जनसंख्या की आजीविका के स्रोत के साथ - साथ ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका की प्रमुख साधन है। इसके अन्तर्गत दो क्रियाओं को सम्मलित किया जाता है।  प्राथमिक क्रियाएँ -- इसके अन्तर्गत खाद्य फसलों तथा व्यापारिक फसलों को शामिल किया जाता है -खाद्य फसलों में दाल , अनाज , सब्जियाँ तथा व्यापारिक फसलों में कपास , तिलहन , पटसन , गन्ना आदि फसलें शामिल की जाती हैं।  गौण क्रियाएँ -- इसके अन्तर्गत मुर्गीपालन , डेयरी फार्मिंग , बागान - फसलें आदि से संबन्धित क्रियाएँ आती हैं।  भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि...

केन्द्र सरकार की व्यय की मुख्य मदें --

केन्द्र सरकार की व्यय की मुख्य  मदें -- पूंजीगत व्यय इसके अंतर्गत रेल , डाक व् तार , औद्योगिक विकास सार्वजनिक हित आदि पर किए जाने वाले खर्च   शामिल हैं।         राजस्व व्यय -- इसके अंतर्गत प्रशासन , प्रतिरक्षा , राज्यों को दिए जाने वाले सहायक अनुदान आदि शामिल हैं , जिसका विवरण निमन प्रकार है।  राजस्व व्यय की मदें --             कर्ज अथवा उधार -- समय - समय पर सरकार देश में होने वाले विकास कार्यों तथा प्रतिरक्षा पर होने वाले व्यय के लिए देशी एवं विदेशी ऋण लेती है। इन ऋणों के साथ - साथ व्यय की सबसे बड़ी मद है।          रक्षा सेवाएँ -- प्रतिरक्षा सेवााओं का व्यय काफी विस्तृत है।  सरकार के राजस्व खाते का बहुत बड़ा भाग इन पर खर्च होता है।  इस सेवा पर होने वाला व्यय प्रति वर्ष बढ़ाया जाता है।          सार्वजनिक अथवा असैन्य सेवाएँ -- इसके अंतर्गत राष्ट्रपति , संसद , मंत्रालयों , पुलिस , पेंशन आदि पर किए जाने वाले खर्च आते हैं।...

केन्द्र सरकार की आय के श्रोत

केन्द्र सरकार की आय के श्रोत -- केन्द्र सरकार की आय के दो श्रोत हैं एक प्रत्यक्ष और दूसरा अप्रत्यक्ष प्रत्यक्ष कर द्वारा केन्द्र सरकार की आय --         निगम कर -- देशी - विदेशी कम्पनियों की आय पर केन्द्र सरकार द्वारा जो कर लगाया जाता है , वह निगम कर समानुपातिक होता है। निगम कर एक  निश्चित दर से सम्पूर्ण आय पर लगाया है।  यह भारत सरकार के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत है।         आयकर -- संधीय सरकार की आय का एक महत्वपूर्ण साधन आयकर है। यह उन पर लगाया जाता है  , जिसकी आय सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक होती है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2015 - 16 में रु 2,50,000 तक की राशि को आयकर से मुक्त रखा गया है।       सम्पति कर -- यह कर व्यक्तियों तथा परिवारों की निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य की सम्पत्ति पर लगाया जाता है। भारत में सर्वप्रथम वित्तीय वर्ष 1957 - 58  में सम्पत्ति कर  लगाया गया। यह क्र 10 लाख से अधिक की सम्पत्ति पर लगाया जाता है।     उपहार कर -- किसी व्यक्ति द्वारा एक निश्...

अप्रत्यक्ष कर INDIRECT TEX

अप्रत्यक्ष कर              ये वे कर होते है , जो सरकार द्वारा लोगों से अप्रत्यक्ष रूप से वसूल किये जाते हैं। इन करों की अदायगी करदाता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं  की जा जाती है जैसे - बाजार  से कोई वस्तु खरीदने पर उसका विक्री कर दुकानदार  वस्तु के मूल्य के साथ ही वसूल लेता  है और सरकार को उसका भुगतान करता है।  डालटन के शब्दों में अप्रत्यक्ष कर वे कर है , जो लगाए तो किसी एक व्यक्ति पर जाते है , किन्तु इनका आंशिक  या पूर्णरूप से भुगतान किसी अन्य व्यक्ति को करना पड़ता है।  जे एम् मिल  के अनुसार परोक्ष कर एक ऐसे व्यक्ति से इस आशा से लिया जाता है कि वह इसे किसी दूसरे व्यक्ति से वसूल कर अपनी क्षतिपूर्ति कर लेगा।  अप्रत्यक्ष कर के गुण --             इसे टाला नहीं जा सकता इन करों से बचना या इन्हे टालना व्यक्ति के लिए कठिन है , क्योकि यह वस्तु के मूल्य के साथ ही वसूल लिए जाते है।  लोचदार होना अगर इन करों की दर को परिवर्तित क्र दिया जाए तो आय की मात्रा भी परिव...

प्रत्यक्ष कर

प्रत्यक्ष कर                प्रत्यक्ष क्र उन करों को कहा जाता है , जिनका भार उन लोगों को प्रत्यक्ष रूप से वहन करना पड़ता है , जिन पर ये आरोपित किए हे है। ये क्र उस व्यक्ति या व्यवसाय द्वारा सरकार को प्रत्यक्ष रूप से अदा किए जाते है जिस पर ये लगाए जाते है। आयकर , निगम कर और भूमि क्र प्रत्यक्ष कर हैं।  प्रत्यक्ष कर की परिभषाएँ                एनातोल मुराद के अनुसार , प्रत्यक्ष कर वे कर होते हैं जिनका विवर्तन नहीं किया जा सकता , इसलिए उनका भार प्रत्यक्ष रूप से उसी व्यक्ति पर पड़ता है , जिससे सरकार कर वसूल करती है।  वेस्टबेल के अनुसार प्रत्यक्ष कर वे कर होते है , जो स्थायी तथा बार - बार उतपन्न होने वाले अवसरों पर लगाए जाते हैं।  प्रत्यक्ष करों के गुण                निश्चित कर -- कर चुकाने वाले व्यक्ति को पहले से ही ज्ञात होता है , की उसे कितना कर कब चुकाना है।  अतः इस क्र में निश्चितता की स्थिति है।  ...

कर का अर्थ एवं परिभाषाएँ

कर का अर्थ एवं परिभाषाएँ --           कर का सार्वजनिक हिट के उद्देश्य से सरकार द्वारा लीये जाने वाला अंश है , जो देश नागरिकों को देना पड़ता है , इसके भुगतान के बदले में किसी प्रत्यक्ष लाभ का वादा नहीं किया जाता है। कर एक अनिवार्य अंशदान है , लेकिन यह किसी क़ानूनी कार्यवाही के दण्डस्वरूप नहीं लगाया जाता है।         प्रो डालटन के अनुसार कर किसी सार्वजनिक सत्ता द्वारा लगाया गया एक अनिवार्य अंशदान है , भले ही इसके बदले में करदाताओं को उतनी सेवाएँ प्रदान की गई हो अथवा नहीं। कर की विशेषताएँ --              जन कल्याण की द्रष्टि से सरकार द्वारा जो क्र लगाया जाता है तथा उससे सरकार को जो आय प्राप्त होती है वः जन - कल्याण के कार्यों में प्रयुक्त की जाती है , जिससे व्यक्तियों के जीवन स्तर में सुधर आता है।            अनिवार्य भुगतान के रूप में क्र का भुगतान करना अनिवार्य होता है। यदि कोई कर की चोरी करता है , तो सरकार के द्वारा उसे दण्डित किया जाता है।   ...

सुनामी , Sunamai

सुनामी --               सुनामी का शाब्दि का अर्थ है - तटीय तरंगें। यह जापानी भाषा के दो शब्द सु तथा नामी से मिलकर मिला है , सु का अर्थ तट तथा नामी का अर्थ तरंगें होता है। इन्हें ज्वारीय अथवा भूकम्पीय तरंगे भी खा जाता है।  इन लहरों की ऊंचाई 15 मी और कभी - कभी इससे भी अधिक होती है ये तट के आस - पास की सभी बस्तियों को पूर्ण रूप से नष्ट क्र देती है। इनकी रफ्तार समुद्र की गहराई के साथ - साथ बढ़ती जाती है। तटवर्ती इलाकों में इनकी रफ्तार 50 किमी / घण्टा से भी अधिक हो सकती है।  उतपत्ति --            समुद्रों में आन्तरिक गतिविधियाँ जैसे - भूकम्प या ज्वालामुखी विस्फोट के कारण तीव्र गति की लहरें उत्तपन्न होती है। जिन्हें सुनामी कहा जाता है।  सुनामी की लहरें प्रलयंकारी होती है , जिससे व्यापक जन - धन की हानि होती है। 26 दिसंबर 2004 को रविवार के दिन सुनामी त्रासदी आई थी। यह लहर हिन्द महासागर के तटीय प्रदेशों से टकराई थी। इस सुनामी के कारण इण्डोनेशिया से भारत्त तक में लगभग 3 लाख व्यक्तियों की मौत हुई थी इ...

भारत के विभाजन के कारण

यह पोस्ट शिछा उद्देश्यों  के लिए है।  इस पोस्ट द्वारा हम किसी धर्म या व्यक्ति विशेष को सही या गलत बताने की कोशिश नहीं कर रहे है।   भारत के विभाजन के कारण --                    भारत को एक लम्बे संधर्ष के बाद अंग्रेजी दासता से मुक्ति मिली थी। लेकिन इसके साथ ही विभाजन का दुःख भी मिला। भारत के विभजन के कारण निम्नलिखीत थे। सम्प्र्रदायिकता की भावना --           आजादी के संघर्ष के दौरान ही हिन्दू और मुसलमानों में साम्प्रदायिकता की भावना पनपने लगी थी। मुसलमानों को यह डर था कि वह भारत में अल्प संख्या में रहें , तो विकास की दौर में पिछड़ जायेंगे। ऐसे में उन्हें अलग राज्य की आवश्यकता होने लगी।  फूट डालो और राज करो की नीति --                प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद से ही अंग्रेजों ने अपने साशन को चलाने के लिए फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई और हिन्दू व् मुसलमानों में अलगाव उतपन्न किया , उन्होंने  मुस्लिम लीग और ...

जल प्रवाह प्रणाली

जल प्रवाह प्रणाली या अपवाह तंत्र -- एक नर्धारित जलमार्ग द्वारा जल के प्रवाह की तंत्र या अपवाह तंत्र कहते है।  उदगम की दृष्टि से भारतीय तंत्र को दो भागों में बांटा जा सकता है  1  हिमालय अपवाही तंत्र 2  प्रायद्वीपीय भारत  का अपवाह तंत्र हिमालयी अपवाह तंत्र -- इस अपवाह तंत्र  की निमन नदी तंत्रों के तहत बांटा गया है   सिन्धु नदी तंत्र --             यह विश्व के सबसे बड़े नदी तंत्रो में से एक है , जिसका अपवाह क्षेत्र 11,65,000 वर्ग किमी है। इसकी कुल लम्बाई 2880 किमी है , जिसमें से भारत में 1,114 किमी भाग ही है। सिंधु नदी का उदगम तिब्बत में इसे सिंगी खम्बान कहा जाता है। झेलम , चिनाब , व्यास , सतलुज , शोक , गिलगित , जास्कर आदि इसकी सहायक नदियाँ है। भारत में यह नदी जम्मू - कश्मीर राज्य के केवल लेह जिले में प्रवाहित होती है। गंगा नदी तंत्र --             गंगा नदी अपनी जल प्रणाली तथा सांस्कृतिक महत्व के कारण भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी ज...

1857 के स्वाधीनता संग्राम के वीरो की वीर गाथा

1857  के स्वाधीनता संग्राम के बारे मे और 1857  के स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख नेतओ की शौर्य गाथा के  बारे में आज आप पुनः अवगत करते है।   यह वो महान हस्ती है जिनके द्वारा की गयी पहल के कारण ही आज हम स्वतंत्र है, यह वो महान हस्ती है जिनको कुछ शब्द में बयां नहीं किया जासकता।   यह वो महान हस्ती है जिनके बारे में हर व्यक्ती को जानने की जरूरत है ,   खास कर युवा वर्ग को। हम देखते है कि यदि कोई जयंती या त्यौहार होता है तो आज का युवा सोशल मीडिया पर पोस्ट तो डाल देता है। लेकिन उस जयंती या त्यौहार की बारे में वह ज्यादा कुछ नहीं जानता। यही सब देखते हुए हमारी कोसिस हर युवा हर वर्ग को किसी न किसी महत्व पूर्ण जानकारी से  अवगत करना है।   1857  के स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख नेता        मंगल पण्डे --               मंगल पण्डे बैरकपुर बंगाल की ब्रिटिश छावनी में तैनात वीर सैनिक थे।  29 मार्च 1857 को परेड के दौरान उन्होंने चर्वी युक्त कारतूसों का प्रयोग करने से इनकार कर...

परिवहन के नए साधन, पाइपलाइन परिवहन

परिवहन के नए साधन   यातायात के नए साधनों में रज्जु पथ एवं नल परिवहन आते है  रज्जु पथ            पृथ्वी पर उपस्थित दुर्गम क्षेत्र जहाँ यातायात के अन्य मार्गों जेसे - सड़क यातायात , रेल यातायात का विकास समुचित ढंग से नहीं हो पाता वहाँ रज्जु पथ के माध्यम से व्यक्तियों तथा  माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है। चाय के क्षेत्रों तथा खानों के क्षेत्रों में इस प्रकार के साधनों का प्रयोग किया जाता है। अवसंरचनात्मक मार्गों जैसे - पुल व् बाँध बनाने तथा उनसे संबन्धित सामग्री पहुँचाने में रज्जु पथ का प्रयोग किया जाता है इस प्रकार के मार्गो के प्रयोग की अपनी सीमा है।  पाइपलाइन परिवहन              परिवहन के इस साधन का प्रयोग उस क्षेत्र में हुआ है , जहाँ खनिज तेल से संपन्न क्षेत्र होते है। परिवहन का यह साधन खनिज तेल क कुओं से तेल - शोधक कारखानों तक तेल पहुंचाने का एक सुगम उपाय है।  पाइपलाइन के बन जाने पर उससे बहुत समय तक तेल ढोने का काम किया जा सकता है।   पाइपलाइन परिव...

हरित क्रान्ति

हरित क्रान्ति                वर्ष 1958 में इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रोनाँमी की स्थापना की गयी , जिसके प्रयासों से 1960 के दशक में परम्परिक कृषि को आधुनिक तकनीक द्द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।  इसके अंतर्गत कृषि में उन्नत बीजों , उर्वरकों तथा प्रौद्योगिकी का समावेश किया गया। इन प्रयासों व बदलावों के फलसवरूप देश में पहलीबार 120 के स्थान पर 170 लाख टन गेहूँ का उत्पादन हुआ।   पचास लाख टन की इस अप्रत्यासित वृत्ति को अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक नारमन वोरलांग ने हरित क्रांति की संज्ञा दी।                 भारत में हरित क्रांति का जनक M S SWAMINATH को माना जाता है। इन सफलताओं के  पश्चात वर्ष 1960 से हरित क्रांति का प्रसार देश के विभिन्न भागों में होने लगा जिसके परिणामस्वरूप देश खाद्यान उत्पादन में आत्म निर्भर हो गया।  हरित क्रांति के दौरान ही इस वर्ष 1964 - 65 में सरकार ने गहन कृषि कार्यक्रम चलाया , जिसके अंतर्गत विशिष्ट फसलों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया गया।  वर्ष 1966-67...

कृषि उत्त्पादन बढ़ाने के उपाय

कृषि उत्त्पादन बढ़ाने के उपाय     सिचाई की सुबिधाओं में  वृद्धि एवं विस्तार -- सरकार को कृषि क्षेत्रों में सिचाई के साधनों का जैसे - कुआं नलकूप , नहर आदि का विस्तार करना चाहिए , जिससे की कृषि केवल वर्षा पर निर्भर न रहे।      उन्नत बीजों एवं उर्वरकों की व्यवस्था -- सरकार द्वारा ग्रमीण स्तर पर बीज एवं उर्वरक गोदाम स्थापित किये जाने चाहिए , ताकि किसानों को उन्नत बीज एवं उर्वरक आसानी से तथा सस्ते दामों पर उपलब्ध हो।     भूमि संरक्षण -- वृक्षा रोपड़ , चकबन्दी आदि कार्य करके किसानों के द्वारा भूमि संरक्षण के प्रयास किये जाने चाहिए , जिससे कि भूमि संरक्षित रहे तथा उसपर वैज्ञानिक ढंग से कृषि की जा सके  , जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हो सके।        साख - सुबिधाओं का विस्तार -- सरकार को चाहिए कि ग्रमीण क्षेत्रों में कृषि साख एवं सुक्षम साख - सुबिधाओं का सृजन करके किसानों को वित्तीय सुबिधा उपलब्ध कराये , जिससे की वे आसानी से उन्नत बीज , उर्वरक तथा कृषि उपकरण खरीद सके।        कृष...

EROSION OR SOIL - EROSION

मृदा अपरदन या भू - क्षरण                       जल एवं वायु के प्रभाव के द्वारा मिटटी की ऊपरी परत का बहकर या उड़कर स्थानान्तरित  हो जाना तथा मिटटी के उपजाऊ कणों को प्रकृति द्वारा हटाया जाना ही मृदा अपरदन या भू - क्षरण कहलाता है।                          भारत में जल द्वारा मिट्टी का कटाव अधिक पभावशाली है।  उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में चंबल के बीहड़ इसी अपरदन क्रिया द्वारा निर्मित है।   अकेली गंगा नदी प्रतिवर्ष 30 करोड़ टन मिट्टी ले जाकर बंगाल की खाड़ी में डालती है।   एक बार भूमि की ऊपरी परत नष्ट हो जाने के कारण , वहाँ किसी प्रकार की वनस्पति का पैदा होना असम्भव हो जाता है।   इसलिए मिट्टी के अपक्षरण को रेंगती हुई मृत्यु भी कहते है।    मृदा अपरदन के प्रकार --              समतल या चादरी भू - क्षरण -- वायु अथवा जल के द्वारा जब पृथ्वी की ऊपरी कोमल सतह को काटकर उड़ा दिया जाता है अथवा...

फ्रिज में रखा भोजन क्यों है हानिकारक, क्या आप को खाना बनाना आता है ? Health Series Post 4 of 100

क्या आप को खाना बनाना आता है ??                        खाना बनने के 48 मिनट तक इसका उपयोग हो जाना चाहिए यह वाग्भट्ट जी का सूत्र है। 48 मिनट से उनका तात्पर्य है कि 48 मिनट तक पोशक तत्व भोजन के खराब नहीं होंते। फिर धीरे-धीरे भोजन के पोशक तत्वों की पोशकता प्रोटीन, विटामिन कम होती जाती है। और भोजन वाशा होता जाता है। वाशे  का मतलव है पोशक तत्वों का अभाव हमारे शरीर वात पित्त कफ तीनों सम रहने पर कोई रोग नहीं होता। पोशक तत्व हमें मिलते रहें ताजी भोजन के माध्यम से तो त्रिदोश सम रहते हैं।   फ्रिज में रखा भोजन क्यों है हानिकारक।                           फ्रिज में रखा भोजन और भी विशैला हो जाता है   क्यों कि फ्रिज में जो गैस होती है जिनकी वजह से वस्तुऐं ठण्डी रहती हैं वह षरीर के लिए जहरीली होती हैं। इसलिए आप फ्रिज में सब्जी, दाल, आटा ना रखें यह और भी वाषा हो जाता है। फ्रिज में प्रयोग होने वाली गैस CFE1 CFE2 CFE3 CFE12 इन्ही गैसो की बजह...